नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा)प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक महाराष्ट्र के वसई विरार नगर निकाय के नगर नियोजनकर्ताओं, चार्टर्ड अकाउंटेंट और अधिकारियों ने ‘बड़े गिरोह’ की तरह जलमल शोधन संयंत्र के लिए निर्धारित भूखंड पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण के लिए मिलीभगत की और कूड़ा फेंकने के लिए तय स्थान को धोखाधड़ी से जनता को बेच दिया।
संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि वसई विरार क्षेत्र में 41 अवैध इमारतों के निर्माण में धन शोधन जांच के सिलसिले में एक जुलाई को 16 स्थानों पर नए सिरे से तलाशी ली गई।
ईडी ने बताया कि छापेमारी के दौरान 12.71 करोड़ रुपये मूल्य की बैंक जमा और म्यूचुअल फंड जब्त किये गए तथा 26 लाख रुपये नकद के अलावा अपराध में संलिप्तता इंगित करने वाले दस्तावेज और उपकरण जब्त किए गए।
धन शोधन का यह मामला मीरा भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा कुछ बिल्डरों, स्थानीय गुंडों और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।
ईडी के मुताबिक यह मामला 2009 से वसई विरार नगर निगम (वीवीसीएमसी) के अधिकार क्षेत्र में सरकारी और निजी भूमि पर आवासीय-सह-वाणिज्यिक भवनों के अवैध निर्माण से संबंधित है।
एजेंसी ने कहा कि वसई विरार शहर की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार जलमल शोधन संयंत्र और कूड़ा फेंकने के लिए आरक्षित भूमि पर समय के साथ 41 अवैध इमारतों का निर्माण किया गया।
ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘आरोपी भवन निर्माता और भूसंपदा विकासकर्ताओं ने ऐसी भूमि पर अवैध इमारतों का निर्माण करके बड़े पैमाने पर जनता को धोखा दिया और बाद में अनुमोदन दस्तावेजों में हेराफेरी करके इसे आम जनता को बेच दिया।’’
एजेंसी ने कहा, ‘‘ यह पूर्व जानकारी होने के बावजूद कि ये इमारतें अनधिकृत हैं और अंततः इन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा, डेवलपर्स ने इन इमारतों में कमरे बेचकर लोगों को गुमराह किया और इस तरह गंभीर धोखाधड़ी की।’’
मुंबई उच्च न्यायालय ने जुलाई 2024 में सभी 41 इमारतों को गिराने का आदेश जारी किया था। इन आवासीय इकाइयों के निवासियों ने बाद में उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया और वीवीसीएमसी ने 20 फरवरी को इन संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया।
भाषा धीरज माधव
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