नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) देश में मजबूत रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की दिशा में सशस्त्र बलों और अकादमिक जगत के बीच तालमेल बढ़ाने के उद्देश्य से सेना के तीनों अंगों की एक संगोष्ठी 22 और 23 सितंबर को यहां आयोजित की जाएगी। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
कई शीर्ष अकादमिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थान त्रि-सेवा अकादमिक प्रौद्योगिकी संगोष्ठी में भाग लेंगे, जिसका आयोजन मानेकशॉ सेंटर में किया जाएगा।
इससे पहले वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसमें सेमिनार, पैनल चर्चा और प्रदर्शनियां शामिल होंगी।
इस संगोष्ठी की घोषणा भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाए जाने के लगभग दो महीने बाद हुई है, जिसमें स्वदेशी प्रौद्योगिकी और उपकरणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सेना ने कहा कि अकादमिक संस्थानों को अपने विचार, प्रस्ताव या विकसित प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा और मूल्यांकन के बाद उनमें से कुछ को अनुसंधान एवं विकास तथा डिजाइन और विकास के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य रक्षा बलों के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास के वास्ते समन्वित रक्षा-सेवा-अकादमिक अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए एक एकीकृत परिप्रेक्ष्य विकसित करना है।
भाषा नेत्रपाल माधव
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