नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शुक्रवार को ‘तांबा दृष्टिपत्र’ जारी किया जो धातु के लिए बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति प्रदान करता है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, यह दस्तावेज वर्ष 2047 तक तांबे की मांग में छह गुना वृद्धि का अनुमान लगाता है और वर्ष 2030 तक 50 लाख टन प्रति वर्ष स्मेल्टिंग एवं रिफाइनिंग क्षमता को जोड़ने की योजना को रेखांकित करता है।
यह दृष्टिपत्र द्वितीयक शोधन में तेजी लाने, घरेलू पुनर्चक्रण को बढ़ाने और वैश्विक साझेदारी के माध्यम से विदेशी खनिज परिसंपत्तियों को सुरक्षित करके खुले-बाजार आयात पर निर्भरता को कम करने पर केंद्रित है।
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में भारत के ऊर्जा बदलाव बुनियादी संरचना के विकास तथा इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा जैसी हरित प्रौद्योगिकियों में तांबे के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति प्रदान करता है।
रेड्डी ने ‘सर्वश्रेष्ठ खदान बंदी’ प्रथाओं के जरिये टिकाऊ एवं जिम्मेदार खनन पर हैदराबाद में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस दृष्टिपत्र को पेश किया।
भाषा निहारिका प्रेम
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