लंदन, चार जुलाई (भाषा) एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि ब्रिटेन में नौकरी की तलाश में विदेशी पेशेवरों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले कुशल श्रमिक वीजा मार्ग से प्रवासी श्रमिकों का कुछ प्रायोजकों द्वारा शोषण किये जाने की आशंका बनी रहती है।
सरकारी व्यय की निगरानी के लिए जिम्मेदार ब्रिटेन की संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने कहा है कि गृह मंत्रालय द्वारा वीजा मार्ग में किए गए बदलावों के जरिये प्रवासी श्रमिकों के शोषण के खतरों पर उचित रूप से विचार नहीं किया गया है।
इस सप्ताह प्रस्तुत अपनी ‘आव्रजन: कुशल श्रमिक वीजा’ रिपोर्ट में, पीएसी ने कहा कि यह मार्ग प्रायोजन मॉडल पर आधारित है – जहां प्रवासी का ब्रिटेन में रहने का अधिकार पूरी तरह से उसके नियोक्ता पर निर्भर करता है – जिससे प्रवासी श्रमिकों के शोषण का खतरा बना रहता है।
पीएसी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस बात के साक्ष्य हैं कि आवेदकों से ब्रिटेन आने से पहले उनके देशों में कुशल श्रमिक वीजा के लिए अत्यधिक शुल्क वसूला गया है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुशल श्रमिक वीजा प्रणाली एक प्रायोजन मॉडल पर आधारित है, जहां एक प्रवासी का ब्रिटेन में रहने का अधिकार उसके नियोक्ता पर निर्भर करता है। इससे प्रवासी श्रमिकों के शोषण की आशंका रहती है।
शोषण का मुद्दा विशेष रूप से विदेशी श्रमिकों के बीच गंभीर रहा है, जिनमें से कई ने इन वीजा का इस्तेमाल तब किया जब 2022 में कोविड महामारी के कारण कुशल श्रमिक मार्ग का विस्तार किया गया था।
पीएसी के अध्यक्ष सर जेफ्री क्लिफ्टन-ब्राउन ने कहा कि सरकार ने महामारी के दौरान सामाजिक देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए तेजी से कदम उठाए।
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रणाली में गंभीर समस्याओं के प्रमाण लंबे समय से मिल रहे थे, जो हमारी जांच में एक बार फिर उजागर हुए हैं। लेकिन फिर भी बुनियादी जानकारी, जैसे कि कुशल श्रमिक वीजा पर कितने लोग आधुनिक दासता के शिकार हुए हैं और क्या लोग अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद ब्रिटेन छोड़ देते हैं, अभी भी सरकार द्वारा एकत्र नहीं की गई है।’’
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने कहा कि वह पीएसी की सिफारिशों पर उचित समय पर औपचारिक प्रतिक्रिया देगा, लेकिन इसने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया कि यह सरकार के हाल के ‘आव्रजन श्वेत पत्र’ से पहले प्रकाशित किया गया था।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश