कोच्चि, चार जुलाई (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केरल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से पूछा कि ‘भारत माता’ कैसे एक धार्मिक प्रतीक हो सकती है और उसका चित्र लगाने से कानून व्यवस्था की समस्या कैसे पैदा हो सकती है।
रजिस्ट्रार को हाल में निलंबित कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति एन नागरेश ने रजिस्ट्रार के एस अनिल कुमार से निलंबन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका की सुनवाई के दौरान ये प्रश्न पूछे।
केरल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मोहनन कुन्नुमल ने दो जुलाई को कुमार को एक निजी कार्यक्रम को रद्द करने का नोटिस जारी करने के आरोप में निलंबित कर दिया था। इस कार्यक्रम में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सीनेट हॉल में भाग लिया था, जहां भगवा ध्वज लिए भारत माता का चित्र प्रदर्शित किया गया था।
कुमार के निलंबन पर रोक लगाने की अंतरिम याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा, ‘भारत माता कैसे धार्मिक प्रतीक है? इसे प्रदर्शित करने से केरल में कानून व्यवस्था की कौन सी समस्या उत्पन्न होने वाली थी?’
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि चित्र के प्रदर्शन को लेकर माकपा और भाजपा की छात्र शाखाओं – क्रमशः स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच झड़प हुई थी।
भाषा नोमान सुभाष
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