(जितेंद्र गुप्ता)
नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) बेटियों के सशक्तीकरण और लैंगिक असमानता को कम करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में एक जनवरी 2008 से ‘लाडली योजना’ की शुरुआत की गई थी लेकिन पिछले 15 वर्षों में इस योजना के लाभार्थियों की संख्या में करीब पचास फीसदी की कमी आई है।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2008-2009 में योजना के लाभार्थियों की संख्या करीब सवा लाख थी जो 2024-25 में घटकर सिर्फ 53 हजार रह गई।
पीटीआई-भाषा द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में यह जानकारी सामने आई है।
दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया कि 2008 में योजना की शुरुआत के बाद से 2025 तक 13,52,564 लड़कियों ने पंजीकरण कराया है।
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, 2008-2009 में जहां लाभार्थियों की संख्या 1,26,965 थी, वहीं 2024-25 में इस योजना का लाभ पाने वाली बालिकाओं की संख्या 50 फीसदी तक गिरकर मात्र 53,001 रह गई जो पिछले पांच साल में दूसरी बार सबसे कम रही।
इससे पहले 2019-2020 में मात्र 30,192 बालिकाओं को योजना का लाभ मिला था।
इस संबंध में दिल्ली महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मिताली नामचूम से जानकारी के लिए कई बार के प्रयासों के बावजूद संपर्क नहीं हो पाया।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया कि 2009-2010 में लाभार्थियों की संख्या 1,39,223, साल 2010-2011 में 1,05,737, साल 2011-2012 में 1,06,585, साल 2012-2013 में 96,800, 2013-2014 में 89,243, 2014-2015 में 82,669, 2015-2016 में 74,846 और 2016-2017 में 68,193 रही।
सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 2017-2018 में 67,070, 2018-2019 में 60,903, 2019-2020 में 30,192, 2020-2021 में 61,546, 2021-2022 में 62,749, 2022-2023 में 64,637 और 2023-2024 में 62,205 बालिकाएं इसकी लाभार्थी रहीं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि लाभार्थियों की संख्या में कमी के पीछे कहीं न कहीं बच्चियों का बीच में स्कूल छोड़ना भी एक वजह है।
उन्होंने कहा कि अकसर जागरूकता की कमी के कारण लड़कियां योजना के तहत अपना पंजीकरण नवीनीकृत नहीं कराती हैं और कुछ मामलों में बच्चियां पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, जिससे प्रक्रिया और जटिल हो जाती है।
दिल्ली सरकार की इस योजना के तहत मौजूदा समय में बच्चियों को कुल 35-36,000 रुपये की सरकारी मदद चरणबद्ध तरीके से दी जाती है जो लड़कियों के बैंक में 18 वर्ष की आयु पूरी होने तक जमा रहती है।
विभाग ने बताया कि बेटी के 18 साल की होने पर खाते में जमा पूरा पैसा ब्याज समेत निकाला जा सकता है और कुल मिलाकर करीब 35 हजार रुपये सरकार की ओर से जमा कराए जाते हैं।
इस संबंध में एक अधिकारी ने पूर्व में बताया था कि जनवरी तक करीब 1.86 लाख लाभार्थियों ने लाडली योजना के तहत मिलने वाले लाभ का दावा नहीं किया जबकि 1.66 लाख लाभार्थियों ने या तो अपने आवेदन का नवीनीकरण नहीं कराया या फिर स्कूल छोड़ दिया।
भाषा नरेश नेत्रपाल
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