नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) वेदांता लिमिटेड को राहत देते हुए अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी ने बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी के विभाजन और उसके बाद बनी कंपनियों को अलग-अलग सूचीबद्ध करने के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेशों पर रोक लगा दी है।
एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने चार मार्च, 2025 को तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के मामले में व्यवस्था की समग्र योजना के लिए दायर पहली याचिका को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा कि इसके ऋण दायित्वों के बारे में ‘महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया है’, जो कंपनी अधिनियम के खिलाफ है।
वेदांता ने इसे तुरंत राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष चुनौती दी।
एनसीएलएटी ने इस सप्ताह की शुरुआत में एनसीएलटी के आदेश को चार अगस्त, 2025 तक के लिए रोक दिया, जब मामले की अगली सुनवाई होनी है।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा, ”हमारे सामने उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है। पेश किए गए दस्तावेजों को ध्यान में रखें तो योजना अलग किए जाने लायक है और यदि आरोपित आदेश पर रोक नहीं लगाई जाती है, तो यह विभिन्न न्यायाधिकरणों में लंबित अन्य तीन कंपनियों के संबंध में दायर दूसरे आवेदन को प्रभावित कर सकता है।”
एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने टीएसपीएल के ऋणदाता सेप्को इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन द्वारा दावा किए गए 1,245 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने के प्रस्ताव पर भी सहमति जताई।
पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए चार अगस्त 2025 को सूचीबद्ध करना उचित होगा।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने सेप्को द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद कारोबार विभाजन योजना पर टीएसपीएल की याचिका खारिज कर दी थी।
एनसीएलटी का यह फैसला चीन स्थित सेप्को इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन द्वारा इस विलय पर आपत्ति जताने के बाद आया था। कंपनी ने कहा था कि बिजली इकाई ने जानबूझकर अपने 1,251 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज को लेनदारों की सूची से बाहर रखा है।
भाषा पाण्डेय रमण
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