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Saturday, July 5, 2025

“अर्जेंटीना में मोदी की मौजूदगी पर कांग्रेस का वार — इंदिरा गांधी, टैगोर और मनमोहन सिंह की याद दिलाई”

Fast News“अर्जेंटीना में मोदी की मौजूदगी पर कांग्रेस का वार — इंदिरा गांधी, टैगोर और मनमोहन सिंह की याद दिलाई”

 

(छठे पैरा में नाम में सुधार के साथ)

नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अर्जेंटीना यात्रा के बीच शनिवार को इस दक्षिण अमेरिकी देश से जुड़े कुछ विषयों के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह को याद किया।

प्रधानमंत्री मोदी अर्जेंटीना की दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार शाम (स्थानीय समयानुसार) ब्यूनस आयर्स पहुंचे और इस दौरान वह देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ दोनों देशों के बीच जारी सहयोग की समीक्षा करेंगे तथा प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘आज अर्जेंटीना में हैं। तीन देश जा चुके हैं, दो देश और जाना बाकी है। भारतीय नागरिकों के लिए अर्जेंटीना का सीधा मतलब डिएगो अरमांडो माराडोना और लियोनेल मेस्सी है। लेकिन तीन गहरे संबंध भी हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘रवीन्द्रनाथ टैगोर ने नवंबर 1924 में एक प्रमुख साहित्यकार विक्टोरिया ओकाम्पो के निमंत्रण पर अर्जेंटीना का दौरा किया था। टैगोर की रचनाएँ पहले से ही बहुत प्रसिद्ध थीं… टैगोर की 52 कविताओं का संग्रह, जिसे पूरबी कहा जाता है – ठीक सौ साल पहले प्रकाशित हुआ था जो ‘विजया’ को समर्पित था। यह नाम उन्होंने ओकाम्पो को दिया था।’’

कांग्रेस महासचिव ने इस बात का उल्लेख किया कि सितंबर 1968 में इंदिरा गांधी ने ब्यूनस आयर्स में ओकाम्पो से मुलाकात की और उन्हें टैगोर के विश्व-भारती विश्वविद्यालय की ‘डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’ मानद उपाधि प्रदान की।

उन्होंने कहा, ‘‘जॉर्ज लुइस बोर्गेस 20वीं सदी के अर्जेंटीना और स्पेनिश साहित्य के दिग्गज थे। 1906 में जब वह सात साल के थे, तब बोर्गेस ने सर एडविन अर्नोल्ड की ‘द लाइट ऑफ़ एशिया’ पढ़ी थी तथा इससे उन्हें बुद्ध के जीवन को और भी ज़्यादा पढ़ने एवं जानने की प्रेरणा मिली। बुद्ध का प्रभाव बोर्गेस की लघु कथाओं, निबंधों, कविताओं और व्याख्यानों में झलकता है। 1986 में मृत्यु से 10 साल पहले, बोर्गेस की किताब ‘क्यू एस एल बुदिस्मो’ (बौद्ध धर्म क्या है) प्रकाशित हुई थी जो बुद्ध के प्रति उनके जीवन भर के आकर्षण को दर्शाती है।’’

रमेश के अनुसार, राउल प्रीबिश 1950 और 1960 के दशक में विशेष रूप से एक बहुत ही प्रभावशाली अर्थशास्त्री थे। उन्होंने व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की स्थापना में मदद की, जो एक ऐसा संगठन रहा जिसने यूएनसीटीएडी के रूप में विश्व आर्थिक इतिहास में अपना स्थान अर्जित किया।

उन्होंने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने जनवरी 1966 से मई 1969 के दौरान न्यूयॉर्क में यूएनसीटीएडी में काम किया था और इस दौरान की उनकी अपनी दो बेटियों के साथ एक प्यारी सी तस्वीर भी है।

रमेश ने इस बात का उल्लेख किया कि यूएनसीटीएडी का दूसरा सत्र जनवरी-मार्च 1968 के दौरान नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था और पहली बार एक विकासशील देश ने संयुक्त राष्ट्र के किसी प्रमुख कार्यक्रम की मेजबानी की।

उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ एक और शब्द है जिसका इस्तेमाल अब प्रधानमंत्री मोदी तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा बहुत अधिक किया जा रहा है, उसका प्रचार भी यूएनसीटीएडी द्वारा किया गया था, हालाँकि इसका पहली बार इस्तेमाल ब्रिटिश बैंकर ओलिवर फ्रैंक्स ने 1960 में किया था।

भाषा हक राखी नेत्रपाल

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