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Sunday, July 6, 2025

ओडिशा : भगवान जगन्नाथ की ‘बहुड़ा यात्रा’ शुरू

Newsओडिशा : भगवान जगन्नाथ की ‘बहुड़ा यात्रा’ शुरू

पुरी, पांच जुलाई (भाषा)अपनी मौसी के घर श्री गुंडिचा मंदिर गए भगवान जगन्नाथ शनिवार को औपचारिक रूप से बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ वापसी के लिए ‘बहुड़ा यात्रा’ पर रवाना हुए।

वापसी यात्रा में हजारों भक्तों ने ‘पोहंडी’ के बाद भगवान बलभद्र के ‘तलध्वज’ के रथ को खींचा और गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने ‘छेरा पोहरा’ (बुहारना) अनुष्ठान किया।

कार्यक्रम के अनुसार रथ खींचने की शुरुआत शाम चार बजे होनी थी लेकिन यह तय समय से काफी पहले अपराह्न 2.45 बजे ‘जय जगन्नाथ’, ‘हरिबोल’ के जयघोष और झांझ-मंजीरों की ध्वनि के बीच शुरू हो गयी। देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ भगवान बलभद्र के तालध्वज के पीछे चलेंगे।

इससे पहले, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के विग्रहों को क्रमशः ‘तालध्वज’, ‘दर्पदलन’ और ‘नंदीघोष’ रथों पर ले जाया गया, जिसे ‘पोहंडी’ कहा जाता है। ‘पोहंडी’ शब्द संस्कृत शब्द ‘पदमुंडनम’ से आया है, जिसका अर्थ है पैर फैलाकर धीमी गति से चलना।

तीनों देवताओं की ‘पोहंडी’ की शुरुआत चक्रराज सुदर्शन से हुई, उसके बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ की ‘पोहंडी’ की रस्म हुई। हालांकि ‘पोहंडी’ की रस्म पहले दोपहर 12 बजे शुरू होनी थी, लेकिन यह बहुत पहले यानी पूर्वाह्न 10 बजे शुरू हो गई। इस रस्म में करीब दो घंटे लगे, जिसके बाद देव विग्रहों को रथों पर बैठाया गया।

भव्य रथ – तलध्वज (बलभद्र), दर्पदलन (सुभद्रा) और नंदीघोष (जगन्नाथ) को श्रद्धालु श्री गुंडिचा मंदिर से खींचकर 12वीं शताब्दी के मंदिर, भगवान जगन्नाथ के मुख्य स्थान, तक ले जाएंगे, जो लगभग 2.6 किलोमीटर की दूरी है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और ओडिशा विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने बहुड़ा यात्रा के शुभ अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं।

माझी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बहुड़ा यात्रा के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं। भगवान की कृपा से सभी का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरा हो।’’

घंटियों, शंखों और झांझों की ध्वनि के बीच पोहंडी अनुष्ठान संपन्न हुआ। भगवान बलभद्र के विग्रह को ‘धाड़ी पोहंडी’ नामक पंक्ति में रथ पर ले जाया गया, जबकि भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा के विग्रह को सेवादारों द्वारा ‘सूर्य पोहंडी’(रथ पर ले जाते समय देवी आकाश की ओर देखती हैं) नामक विशेष अनुष्ठान के साथ उनके ‘दर्पदलन’ रथ पर लाया गया।

जब भगवान जगन्नाथ का विग्रह अंततः श्री गुंडिचा मंदिर से बाहर लाया गया तो विशाल सड़क पर लोगों की भावनाएं उमड़ पड़ीं और भक्तों ने ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरिबोल’ नारों का जयघोष किया।

‘पोहंडी’ से पूर्व, मंदिर के गर्भगृह से मुख्य देव विग्रहों के बाहर लाने से पहले, ‘मंगला आरती’ और ‘मैलम’ जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान किए गए।

पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने सभी रथों पर सुनहरे झाड़ू से रथों के फर्श को साफ करने की रस्म ‘छेरा पोहरा’ निभाई। यह रस्म अपराह्न 1.35 बजे शुरू हुई।

गजपति ने ‘छेरा पोहरा’ रस्म की शुरुआत भगवान बलभद्र के तलध्वज रथ से शुरू की और उसके बाद भगवान जगन्नाथ के रथ पर और अंत में देवी सुभद्रा के रथ पर यह रस्म निभाई।

भगवान जगन्नाथ और उनके अनुज-अनुजा की वार्षिक बहुड़ा यात्रा देखने के लिए लाखों श्रद्धालु पुरी में पहुंचे हैं।

यह महोत्सव 29 जून को श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ की पृष्ठभूमि में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच आयोजित किया जा रहा है। भगदड़ में तीन लोग मारे गए थे और लगभग 50 अन्य घायल हुए थे।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य पुलिस के कुल 6,000 अधिकारी और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के 800 जवान शहर में तैनात किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अप्रिय घटना न हो।

एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आगंतुकों के लिए यातायात परामर्श जारी किया है तथा मौसम अनुकूल होने के कारण भारी भीड़ जुटने की उम्मीद करते हुए पुख्ता तैयारी की है।

उन्होंने बताया कि भीड़ पर नजर रखने के लिए 275 से अधिक एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

पुलिस महानिदेशक वाईबी खुरानिया के नेतृत्व में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पुरी में ‘बहुड़ा यात्रा’ को सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए डेरा डाले हुए हैं।

भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की जन्मस्थली माने जाने वाले श्री गुंडिचा मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं ने देव विग्रहों के दर्शन किए।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश

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