देहरादून, 30 मई (भाषा) दून विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा को समर्पित हिंदू अध्ययन विभाग की स्थापना की जा रही है, जिसे शिक्षाविदों और छात्रों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है ।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले इस संबंध में घोषणा की थी।
विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने बताया कि इस विभाग के तहत न केवल वेद, उपनिषद, पुराण और भारतीय दर्शन जैसे विषय होंगे, बल्कि इसे ‘मल्टी-डिसिप्लिनरी’ दृष्टिकोण से तैयार किया जा रहा है ताकि छात्रों को व्यापक समझ हासिल हो सके।
विभाग में 2025-26 सत्र से एमए हिंदू स्टडीज की पढ़ाई शुरू होगी जिसमें पहले चरण में 20 सीटों पर दाखिला दिया जाएगा।
डंगवाल ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, “राष्ट्रीय शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा का अहम स्थान रहा है। पाठ्यक्रमों में इसकी झलक तो है लेकिन अब इसे गहराई से पढ़ाने और समझने की अब जरूरत है। इसके लिए ऐसे प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता है, जो वेदों, उपनिषदों और दर्शन में पारंगत हों।”
विभाग के प्रारूप और पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई है, जो तीन जून को दून विश्वविद्यालय का दौरा करेगी ।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोर्स न केवल उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करेगा बल्कि भविष्य में माध्यमिक शिक्षा तक इसका विस्तार किया जा सकता है।
दून विश्वविद्यालय में एमए हिंदू स्टडीज में प्रवेश पाने के लिए 22 जून को प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी जिसके लिए आवेदन भरने की अंतिम तिथि 31 मई है ।
विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी इस कोर्स के शुरू होने से उत्साहित हैं । विश्वविद्यालय की छात्रा अंजलि सुयाल ने कहा, “भगवद् गीता को आज भी लोग अलग-अलग तरीकों से समझते हैं। यदि हमारे यहां हिंदू स्टडीज विभाग खुलता है, तो छात्र इसे एक व्यवस्थित तरीके से पढ़ सकेंगे।”
एक अन्य छात्रा अनुष्का ने कहा कि ‘मेडिटेशन’ और ‘काउंसलिंग’ जैसी अवधारणाएं भारतीय संस्कृति की देन हैं, जिन्हें आज पश्चिमी देश भी अपना रहे हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे कोर्स युवाओं को उनकी जड़ों से जोड़ेंगे।”
विश्वविद्यालय में हिंदू स्टडीज के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एच.सी. पुरोहित ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को अब तक शिक्षा में पर्याप्त स्थान नहीं मिला है और यह विभाग उन उपेक्षित पहलुओं को शोध और अध्ययन का मंच बनेगा।”
दून विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर राजेश भट्ट ने बताया कि भारत में हिंदू स्टडीज के केंद्र सीमित हैं।
उन्होंने कहा, “दून विश्वविद्यालय में इसकी स्थापना से शोध को नई दिशा मिलेगी और कल्पना व तथ्य में अंतर समझाने की क्षमता विकसित होगी।”
कुलपति सुरेखा डंगवाल ने बताया कि यूरोप के कई विश्वविद्यालयों में हिंदू स्टडीज पढ़ाई जाती है जो इस विषय की वैश्विक प्रासंगिकता को सिद्ध करता है । उन्होंने कहा, “जब इस्लामिक स्टडीज के विभाग भारत में मौजूद हैं, तो हिंदू स्टडीज की स्थापना भी एक न्यायसंगत और जरूरी कदम है।”
मुख्यमंत्री धामी ने इस पहल को ऐतिहासिक बताया और कहा, “देवभूमि उत्तराखंड में इस कोर्स की शुरुआत से आमजन को सनातन परंपरा को जानने और समझने का अवसर मिलेगा।”
भाषा दीप्ति जोहेब
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