कोलकाता, छह जुलाई (भाषा) हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) वैश्विक सहयोग के माध्यम से तांबे की खोज और उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है, क्योंकि वह अपनी खनन क्षमता को 34.7 लाख टन से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2030-31 तक 1.2 करोड़ टन सालाना करना चाहती है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि कोलकाता स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकी ताकत बढ़ाने के लिए चिली की कोडेल्को के साथ साझेदारी की है।
एचसीएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) संजीव कुमार सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हमने तकनीकी ताकत बढ़ाने और गहन खनिजीकरण की खोज के लिए कोडेल्को के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। कोडेल्को के प्रतिनिधियों का हमारे प्रमुख खनन स्थलों का दौरा हमारी क्षमताओं को उन्नत करने के प्रयासों का हिस्सा है।”
चिली की प्रमुख तांबा कंपनी के विशेषज्ञों का तीन सप्ताह का दौरा चल रहा है, जिसके दौरान टीम विभिन्न खनन और परिचालन पहलुओं का आकलन करने के लिए देश भर में एचसीएल की सभी इकाइयों और कार्यालयों का दौरा कर रही है।
यह घटनाक्रम पिछले दिसंबर में प्रस्तुत अपनी निष्पादन लेखापरीक्षा रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की तीखी आलोचना के बीच हुआ है।
वित्त वर्ष 2016-17 और 2021-22 के बीच की अवधि को कवर करते हुए, रिपोर्ट ने कम उत्पादन वृद्धि के लिए योजना, ठेकेदार चयन और कार्यान्वयन में गंभीर खामियों को चिह्नित किया, जिसमें एचएएल के लिए प्रमुख पहल मलांजखंड भूमिगत विकास परियोजना भी शामिल है।
अधिकारी ने बताया कि एचसीएल की विस्तार योजना का केन्द्र मध्यप्रदेश में मलांजखंड कॉपर परियोजना (एमसीपी) है, जहां कंपनी ने भूमिगत खनन में अपना परिवर्तन पूरा कर लिया है और अब प्रगति में तेजी लाने के लिए वह दुनिया की सबसे बड़ी तांबा उत्पादक कंपनी कोडेल्को की ‘तकनीकी विशेषज्ञता पर निर्भर’ है।
भाषा अजय अनुराग
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