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Monday, July 7, 2025

साहा ने टीएमपी विधायक की गठबंधन से समर्थन वापसी की धमकी पर टिप्पणी से किया इनकार

Newsसाहा ने टीएमपी विधायक की गठबंधन से समर्थन वापसी की धमकी पर टिप्पणी से किया इनकार

अगरतला, छह जुलाई (भाषा) त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के विधायक रंजीत देबबर्मा की पूर्वोत्तर राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन सरकार से बाहर निकलने की धमकी पर कोई भी टिप्पणी करने से रविवार को इनकार कर दिया।

रंजीत देबबर्मा ने शनिवार को कहा था कि पार्टी टिपरासा समझौते के संबंध में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहने के कारण माणिक साहा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के लिए तैयार है।

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘वह एक अलग पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। वह जो कह रहे हैं, वह उनका अपना विचार है। मेरे लिए इस बयान पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।’

टीएमपी पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है।

टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) ने राज्य के मूल निवासियों के समग्र विकास के लिए मार्च 2024 में केंद्र और राज्य सरकार के साथ टिपरासा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा में टिपरा मोथा के 13 विधायक हैं और उसे दो मंत्री पद मिले हैं।

अगर टीएमपी समर्थन वापस भी ले लेती है, तो भी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में बनी रहेगी क्योंकि 60 सदस्यीय सदन में उसके 33 विधायक हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए जाने के एक साल बाद भी टिपरासा समझौते को लागू न किए जाने के आरोप पर साहा ने कहा कि वह टीएमपी प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के लगातार संपर्क में हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पूर्वोत्तर राज्य के मूल निवासियों के विकास से जुड़े टिपरासा समझौते को लागू करने की प्रक्रिया जारी है।’

पार्टी विधायक के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमपी प्रमुख ने शनिवार को कहा, ‘मुझे हमारी पार्टी के विधायक रंजीत देबबर्मा के बयान के बारे में नहीं पता, लेकिन मैं उनसे जरूर बात करूंगा। आज मेरी मुख्यमंत्री माणिक साहा से बात हुई और मैंने उन्हें बताया कि टिपरासा समझौते पर हस्ताक्षर हुए 18 महीने हो चुके हैं।’

उन्होंने कहा, ‘अगर विधायक देबबर्मा ने समर्थन वापसी की बात की है, तो हो सकता है कि उन्होंने यह बात ग्रामीण क्षेत्रों में फैली निराशा और असुरक्षा के कारण की हो।’

भाषा योगेश रंजन

रंजन

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