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Monday, July 7, 2025

गोल्ड कम्पाउंड के आयात पर ‘अंकुश’ से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं पर दोहरी मार

Newsगोल्ड कम्पाउंड के आयात पर ‘अंकुश’ से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं पर दोहरी मार

(प्रसून श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, छह जुलाई (भाषा) भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को सोने के यौगिकों – एक प्रमुख कच्चा माल – पर आयात ‘अंकुश’ से दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि उद्योग दुर्लभ पृथ्वी चुंबक निर्यात पर चीन के प्रतिबंधों से पहले ही जूझ रहा था। दुर्लभ पृथ्वी चुंबक का इस्तेमाल कंप्यूटर चिप और इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन, पवन टर्बाइन और चिकित्सा उपकरणों में किया जाता है। दूसरी ओर मदरबोर्ड, सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों में विद्युत प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए सोने के यौगिकों (गोल्ड कम्पाउंड) का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 17 जून को आदेश में कोलाइडल कीमती धातुओं और यौगिकों के आयात को मुक्त से ‘अंकुश’ की श्रेणी में डाल दिया था।

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को लिखे पत्र में इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने कहा कि आयात प्रतिबंध ने घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ाने के उद्योग के प्रयासों में अनिश्चितता ला दी है।

आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा, ”आयात प्रतिबंध ने इस महत्वपूर्ण सामग्री की उपलब्धता को प्रभावित किया है। इसने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ाने के लिए जारी प्रयासों के मद्देनजर अनिश्चितता पैदा कर दी है। इसके चलते नीतिगत अनिश्चितता इस खंड में निवेश भी रोक सकती है।”

सोने के यौगिकों के आयात से जुड़े मुद्दे को हल करने की मांग करते हुए मोहिंद्रू ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) का मकसद प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, कैमरा मॉड्यूल, यांत्रिक भागों और कनेक्टर जैसे प्रमुख कलपुर्जों को स्थानीय स्तर पर बनाना है। दूसरी ओर इस सभी को बनाने के लिए सोने के यौगिकों की जरूरत होती है।

इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन ‘एल्सीना’ ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा कि सीमा शुल्क अधिकारियों ने पोटेशियम गोल्ड साइनाइड (जीपीसी) और इसी तरह की अन्य सामग्रियों की खेपों को रोकना शुरू कर दिया है, जिससे उत्पादन में काफी देरी हो रही है और आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान आ रहा है।

एल्सीना के महासचिव राजू गोयल ने कहा कि पोटेशियम गोल्ड साइनाइड, कोलाइडल कीमती धातुएं और अन्य यौगिकों का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों के विनिर्माण में महत्वपूर्ण कच्चे माल के रूप में किया जाता है, जिसमें कनेक्टर, पीसीबी और सेमीकंडक्टर शामिल हैं।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

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