गुवाहाटी, छह जुलाई (भाषा) प्रख्यात इतिहासकार, सामाजिक विचारक और राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफेसर उदयादित्य भराली का लंबी बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया। यह जानकारी उनके परिवार के सदस्यों ने दी।
वह 78 वर्ष के थे और उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं।
प्रख्यात इतिहासकार के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि भराली लंबे समय से बीमार थे और कई महीनों से डायलिसिस पर थे, जिससे वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गए थे।
भराली का जन्म 1947 में मोरान में हुआ था। भराली ने 1968 से गुवाहाटी के प्रमुख कॉटन कॉलेज में इतिहास पढ़ाना शुरू किया और 2006 में उसी संस्थान के प्रधानाचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
उन्होंने पूर्वोत्तर के सबसे पुराने कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख के रूप में भी काम किया।
वामपंथी विचारधारा के अनुयायी के रूप में जाने जाने वाले भराली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिवादी) से जुड़े थे और नक्सल आंदोलन के समर्थक थे। असम की विपक्षी पार्टियों में उनका काफी सम्मान था।
भराली को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था, जिसमें 1996 में शीर्ष साहित्यिक संस्था असम साहित्य सभा द्वारा बिष्णु प्रसाद रावा पुरस्कार भी शामिल है।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक पोस्ट में लिखा, ‘मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रचार समिति के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने भी प्रख्यात इतिहासकार उदयादित्य भराली के निधन पर शोक व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘हम उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं तथा शोक संतप्त परिवार और उनके सभी प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।’
असम गण परिषद के अध्यक्ष और असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने भी भराली के निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें एक प्रतिष्ठित शिक्षक, विचारक और प्रखर लेखक बताया।
उन्होंने कहा, ‘उनका निधन असम के शैक्षणिक और सामाजिक जीवन के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस शोक की घड़ी में, मैं उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और उनके शोकाकुल परिवार, परिजनों और प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। ॐ शांति!’
रायजोर दल के अध्यक्ष और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि वह उनके लिए पिता तुल्य थे। अखिल गोगोई भराली के छात्र थे।
उन्होंने कहा, ‘वह मेरे राजनीतिक मार्गदर्शक थे। सर को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर गया। उदयादित्य भराली सर के परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’
भाषा योगेश दिलीप
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