बगदाद, छह जुलाई (एपी) इराक में आशूरा के मौके पर हजारों श्रद्धालु करबला शहर में एकत्र हुए। आशूरा इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के 10वें दिन को कहा जाता है। इस दिन पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत की याद में बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोग करबला में एकत्र होते हैं।
यह शिया समुदाय के सबसे बड़े धार्मिक कार्यक्रमों से एक है। समुदाय के लिए आशूरा का गहरा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में इमाम हुसैन, उनके परिवार के सदस्यों और साथियों की शहादत के मौके पर यौम-ए-आशूरा मनाया जाता है।
इमाम हुसैन ने उमय्यद खिलाफत के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा लेने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद सुन्नी और शिया समुदाय के बीच मतभेद और गहरा गया था।
शियाओं के लिए यह दिन अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक बन गया।
इजराइल-ईरान युद्ध, ईरान के सहयोगी सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को अपदस्थ किए जाने और लेबनान के शिया चरमपंथी समूह हिज्बुल्ला के प्रमुख हसन नसरल्ला की हत्या जैसे घटनाक्रमों के बाद, इस बार यौम-ए-आशूरा मनाया जा रहा है।
करबला की सड़कों पर लाल कालीन बिछाए गए हैं और श्रद्धालुओं के लिए भोजन व पानी की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु इराक के प्रांतों और विदेश से आए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में ईरान, खाड़ी देशों, लेबनान और पाकिस्तान से आए लोग शामिल हैं।
काले कपड़े पहने पुरुष, महिलाएं और बच्चे इमाम हुसैन और उनके भाई अब्बास की मजारों के आसपास एकत्र हुए और पारंपरिक तरीके से शोक मनाया।
हालांकि यह एक धार्मिक अवसर है, लेकिन कुछ प्रतिभागियों ने करबला की सड़कों पर चलते हुए इजराइल और अमेरिका के खिलाफ नारे लगाए। कई बैनरों में ईरान समर्थित गुटों के प्रति समर्थन भी किया गया।
इराक के गृह मंत्री अब्दुल अमीर अल-शममारी शनिवार को करबला पहुंचे और ऑपरेशन कमान मुख्यालय में वरिष्ठ सुरक्षा व खुफिया अधिकारियों तथा ‘पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज’ के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत बैठक की।
‘पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज’ शिया बहुल मिलिशिया संगठनों का एक गठबंधन है जो आधिकारिक तौर पर इराकी सेना के अधीन है।
एपी जोहेब सुभाष
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