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Monday, July 7, 2025

मुंबई पुलिस की एहतियाती कार्रवाई से करोड़ों रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने में मदद मिली

Newsमुंबई पुलिस की एहतियाती कार्रवाई से करोड़ों रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने में मदद मिली

(सुमीर कौल)

मुंबई, छह जुलाई (भाषा) ऑनलाइन धोखाधड़ी के खिलाफ जंग तेज करते हुए मुंबई पुलिस ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे घोटालों से नागरिकों को बचाने के मकसद से ना केवल बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है, बल्कि इसने ऐसी कई साजिशों को सफलतापूर्वक विफल करके अब तक करोड़ों रुपये घोटालेबाजों के हाथों में जाने से बचा लिए हैं।

मुंबई पुलिस ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों के लिए एक विशेष ‘हेल्पलाइन नंबर’ स्थापित किया और तब से छह वरिष्ठ नागरिकों को इसका शिकार होने से बचाया गया है।

यह सक्रिय उपाय मुंबई पुलिस के आयुक्त देवेन भारती द्वारा हाल ही में स्थापित पांच साइबर पुलिस थानों को दिए गए स्पष्ट निर्देश के साथ किया गया है। निर्देश में कहा गया है कि बेहद अहम ‘गोल्डन ऑवर’ के दौरान धन के किसी भी अंतरण को रोकने के लिए संकट में की गई फोन कॉल पर तुरंत कार्रवाई करें।

‘गोल्डन ऑवर’ एक महत्वपूर्ण अवधि है जिस दौरान कानून प्रवर्तन, बैंकों और डिजिटल भुगतान मंचों के बीच समन्वित प्रयास से वित्तीय प्रणाली के भीतर धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोका जा सकता है, अवैध खातों को प्रभावी ढंग से अवरुद्ध या चिह्नित किया जा सकता है।

पुलिस आयुक्त का पदभार एक मई को संभालने वाले भारती ने हाल ही में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम जून 2022 से 280 करोड़ रुपये बचाने में सक्षम रहे।’’

उन्होंने कहा कि चूंकि महत्वपूर्ण ‘गोल्डन ऑवर’ को हाथ से नहीं जाने देने पर जोर दिया जा रहा था, इसलिए मुंबई पुलिस ने विभिन्न बैंकों से 87.99 करोड़ रुपये की राशि को रोकना सुनिश्चित किया, ताकि इसे घोटालेबाजों के हाथों में जाने से रोका जा सके।

‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाला एक तरह की धोखाधड़ी है जिसके तहत डर और गलत सूचना का इस्तेमाल करके लोगों को शिकार बनाया जाता है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले में शामिल जालसाज नकली वर्दी और आधिकारिक दिखने वाले लोगो के साथ खुद को पुलिस अधिकारियों के रूप में पेश करके पीड़ितों से संपर्क करते हैं। इसके तहत जालसाज दावे के साथ पीड़ित व्यक्ति से कहते हैं कि उसके लिए भेजे गए पार्सल में अवैध सामान है या उसका कोई प्रिय व्यक्ति किसी अपराध में शामिल है।

इसके बाद जालसाज पीड़ित को बताते हैं कि उसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया गया है और मांग करते हैं कि वे ‘स्काइप’ जैसे मंच के माध्यम से लगातार निगरानी में रहें और आगे के परिणामों से बचने के लिए भारी ‘जुर्माना’ भरें।

कुछ मामलों में पीड़ितों को कई दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ की स्थिति में रखा जाता है और उनसे उनकी जीवन भर की बचत ठग ली जाती है।

भारती ने कहा, ‘‘लोगों की जिंदगीभर की कमाई का इस तरह ठगों के हाथों में जाना वाकई मर्माहत करने वाला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा दोबारा न हो।’’

उन्होंने कहा कि एक विशेष हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने के अलावा, मुंबई पुलिस बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान में सक्रिय रूप से शामिल है जिसमें सोशल मीडिया अभियान और स्थानीय हाउसिंग सोसाइटी के विभिन्न ‘व्हाट्सएप ग्रुप’ से संपर्क करना शामिल है ताकि नागरिकों को इन घोटालों को पहचानने और रोकने के लिए जानकारी दी जा सके।

संदेश को और अधिक प्रचारित करने के लिए मुंबई पुलिस ने आम जनता को शिक्षित करने के लिए बॉलीवुड स्टार आयुष्मान खुराना को भी शामिल किया है।

भारती बताते हैं, ‘‘लोगों के लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई अवधारणा नहीं है और घोटालेबाज सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी या उल्लंघनों के जरिए प्राप्त व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग करके एक विश्वसनीय कहानी गढ़ते हैं।’’

पुलिस आयुक्त ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पीड़ित से तुरंत जानकारी लेना ज़रूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर जबरन पैसे अंतरित किए जाने की सूचना लेन-देन के एक घंटे के भीतर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दी जाती है, तो पैसे वापस मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। महत्वपूर्ण पहले घंटे के बाद, बैंकिंग प्रणाली में लेन-देन को रोकने की संभावना काफी कम हो जाती है।’’

भारती ने कहा कि पैसे को ‘ खातों’ के कई स्तर वाले नेटवर्क में जाने से रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करना ज़रूरी है क्योंकि इन खातों से एटीएम के जरिये पैसे को नकद रूप में निकाल लिया जाता है। इसके बाद पैसे का पता नहीं लगाया जा सकता और इसकी वापस संभव नहीं होती।

उन्होंने कहा कि इन घोटालों की जांच में अक्सर एक स्याह पक्ष सामने आता है। कुछ मामलों में यह पता चला है कि आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव के बहाने दक्षिण पूर्व एशिया में तस्करी के जरिए कुछ भारतीय नागरिक म्यांमा और कंबोडिया जैसे देशों में पाए जाते हैं, जहां वे वस्तुतः ‘साइबर गुलामों’ की तरह काम करते हैं।

इन लोगों को डिजिटल दासता में धकेला जाता है और उन्हें भारत के भीतर लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ सहित विभिन्न घोटालों के जरिए निशाना बनाने के लिए मजबूर किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय-मादक पदार्थ एवं अपराध (यूएनओडीसी) की ओर से अक्टूबर 2024 में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ (जिसे उसने ‘कानून प्रवर्तन प्रतिरूपण’ कहा है) दक्षिण पूर्व एशिया में तेजी से बहुत आम होता जा रहा है।

भाषा संतोष नरेश

नरेश

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