(तस्वीर के साथ)
मुंबई, सात जुलाई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने सोमवार को कहा कि बाजार नियामक को विदेशी हेज कोष जेन स्ट्रीट की तरफ से की गई हेराफेरी के जैसे दूसरे जोखिम नहीं दिख रहे हैं।
सेबी ने पिछले सप्ताह जेन स्ट्रीट पर हेराफेरी के जरिये वायदा एवं विकल्प सौदों से अर्जित 4,800 करोड़ रुपये से अधिक राशि को जब्त करने और उसकी बाजार पहुंच रोकने का आदेश जारी किया था।
पांडेय ने जेन स्ट्रीट की ही तरह अन्य कोषों या निवेशकों के हेराफेरी में लिप्त होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बहुत अधिक दूसरे जोखिम हैं।’’
सेबी प्रमुख ने इस मामले में संवाददाताओं से कहा कि बाजार नियामक अपनी निगरानी प्रणाली को उन्नत करने पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जेन स्ट्रीट मामले में जो हुआ वह ‘मूल रूप से’ निगरानी का मुद्दा था और नियामक केवल इसी कारण से इस पहलू पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि जेन स्ट्रीट के खिलाफ की जा रही कार्रवाई मौजूदा नियामकीय शक्तियों के दायरे में है। उन्होंने कहा कि बेहतर निगरानी और प्रवर्तन ही गलत काम करने वाले किसी शख्स के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद कर सकते हैं।
सेबी ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में न्यूयॉर्क स्थित हेज कोष जेन स्ट्रीट को तगड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में नकदी और वायदा एवं विकल्प सौदों में दांव लगाकर सूचकांकों में हेराफेरी करने का दोषी पाया।
सेबी ने जेन स्ट्रीट को भारतीय प्रतिभूति बाजार तक पहुंच निलंबित करने के साथ ही उसके 4,843 करोड़ रुपये से अधिक लाभ को जब्त कर लिया है।
बाजार नियामक ने पाया है कि जनवरी, 2023 से लेकर मई, 2025 की जांच अवधि के दौरान जेन स्ट्रीट ने शुद्ध आधार पर 36,671 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।
हालांकि, पांडेय ने इस बात से इनकार किया कि खुदरा निवेशकों को सुरक्षा देने के लिए डेरिवेटिव खंड में मासिक अनुबंध व्यवस्था समाप्त करने के किसी भी सुझाव पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि डेरिवेटिव बाजार में खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए नियामक जो भी कदम उठाएगा, वह केवल आंकड़ों पर आधारित होगा।
सेबी ने कुछ महीने पहले अपने एक अध्ययन में पाया था कि खुदरा निवेशकों के 90 प्रतिशत से अधिक सौदे उनके लिए नुकसानदेह साबित हुए।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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