(पायल बनर्जी)
पुडुचेरी, सात जुलाई (भाषा) पुडुचेरी के दस मेडिकल कॉलेज केंद्र शासित प्रदेश में टीबी (तपेदिक) के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
ये कॉलेज टीबी के 50 प्रतिशत से अधिक मामलों की जानकारी दे रहे हैं और मरीजों की पहचान के लिए अभियान चला रहे हैं।
पुडुचेरी के टीबी अधिकारी डॉ. सी. वेंकटेश ने कहा कि पुडुचेरी के तीन सरकारी और सात निजी मेडिकल कॉलेजों ने टीबी उन्मूलन गतिविधियों को लागू करने और उनकी निगरानी के लिए मेडिकल कॉलेज कोर कमेटी का गठन किया है।
डॉ. वेंकटेश ने बताया कि यह कमेटी जांच और इलाज, दवाओं की संवेदनशीलता की जांच, टीबी से बचाव के उपाय, रोगी खोज अभियान और टीबी उन्मूलन के प्रमाणन के लिए जरूरी दावों की जांच जैसे काम करती है।
उन्होंने कहा, ‘ये संस्थान राज्य टीबी शाखा के साथ मिलकर संवेदनशील आबादी की पहचान कर रहे हैं और उन्हें मध्यम या उच्च जोखिम वाले लोगों के रूप में चिन्हित कर रहे हैं, जिनकी जांच आधुनिक तकनीकों के जरिए की जाती है।
डॉ. वेंकटेश ने बताया कि सह-रुग्णता या अन्य स्वास्थ्य जोखिमों से ग्रसित व्यक्तियों की जानकारी संग्रहित कर ली जाती है और भविष्य में होने वाले स्वास्थ्य जांच अभियानों के दौरान इन लोगों की स्थिति का फिर से मूल्यांकन किया जाता है, ताकि समय पर उनका इलाज और देखभाल की जा सके।’
पुडुचेरी की 14,00,000 की आबादी के लिए 10 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 1500 से अधिक मेडिकल छात्र प्रवेश लेते हैं।
पुडुचेरी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन निदेशक डॉ. एस गोविंदराजन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया किडॉ. एस. गोविंदराजन, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) पुडुचेरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘चिकित्सा महाविद्यालयों का सेवा क्षेत्र सीमित भौगोलिक क्षेत्र तक नहीं होता है और वे तृतीयक रेफरल इकाइयां होने के कारण, जिले के भीतर और जिले तथा राज्य के बाहर से भी मरीजों को सेवाएं प्रदान करते हैं।’
उन्होंने बताया कि राज्य का टीबी विभाग मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, ताकि मेडिकल कॉलेज कार्यबल तंत्र को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
डॉ. वेंकटेश ने कहा, ‘पुडुचेरी के मेडिकल कॉलेज केंद्र शासित प्रदेश में सामने आने वाले कुल टीबी के मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों का पता लगाने में योगदान दे रहे हैं, जिनमें ज़्यादातर मामलों का निदान एनएएटी प्रौद्योगिकी से किया जाता है। ये कॉलेज एक्स्ट्रा-पल्मनरी टीबी के अधिकांश मामलों की भी पहचान कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे मरीजों के लिए भर्ती कर इलाज देने की सुविधा शुरू की है, जिन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है।’
भाषा योगेश दिलीप
दिलीप