(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) तमिलनाडु क्षय रोग से पीड़ित वयस्कों में मृत्यु की आशंका का पूर्वानुमान व्यक्त करने के लिए मॉडल तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सरकार ने इसे मौजूदा राज्यव्यापी एप्लीकेशन ‘टीबी सेवा’ के साथ समेकित कर दिया है।
टीबी सेवा ऐप मरीजों की पहचान करने और उन्हें प्राथमिकता के अनुसार इलाज के लिए महत्वपूर्ण है।
तमिलनाडु की राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. आशा फ्रेडरिक ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी’ (एनआईई) द्वारा विकसित पूर्वानुमान मॉडल को पिछले सप्ताह शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य गंभीर रूप से बीमार क्षय रोगियों के लिए निदान से लेकर अस्पताल में भर्ती होने तक के औसत समय को कम करना है, जिससे मृत्यु दर और भी घट सकेगी।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह मॉडल तमिलनाडु के मौजूदा टीबी सेवा (टीबी वेब एप्लीकेशन) में जोड़ा गया है, जिसका उपयोग तमिलनाडु – कासनोई एराप्पिला थिट्टम (टीएन-केईटी) के तहत 2022 से किया जा रहा है।
टीएन-केईटी के अंतर्गत, स्वास्थ्य कार्यकर्ता क्षय रोग से पीड़ित प्रत्येक नए वयस्क व्यक्ति की अत्यंत गंभीर कुपोषण होने, श्वसन संकट या खराब शारीरिक स्थिति के लिए जांच करते हैं।
फिर, स्वास्थ्य कर्मचारी इन कारकों को टीबी सेवा में अपलोड करते हैं, जो बताता है कि कोई विशेष रोगी गंभीर रूप से बीमार है या नहीं।
डॉ. फ्रेडरिक ने बताया कि टीएन-केट के तहत, सभी गंभीर रूप से बीमार मरीजों को भर्ती करने के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
एनआईई के निदेशक डॉ. मनोज मुरहेकर ने बताया कि अब तक टीबी सेवा इन कारकों के आधार पर मरीजों को ‘गंभीर रूप से बीमार’ के रूप में चिह्नित करती थी, जिससे स्वास्थ्य कर्मचारियों को उन्हें देखभाल के लिए प्राथमिकता देने में मदद मिलती थी।
डॉ. मुरहेकर ने बताया, ‘‘यह नयी सुविधा एक कदम है – जिसमें क्षय से पीड़ित वयस्कों की मृत्यु की अनुमानित संभावना की गणना करना और उसे प्रदर्शित करना शामिल है।’’
उन्होंने बताया कि इस इससे प्राप्त जोखिम प्रतिशत का उद्देश्य क्षय रोग से पीड़ित गंभीर रूप से बीमार वयस्कों के निदान के समय उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के मकसद से अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को तत्काल और दृढ़ता से कार्य करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है।
एनआईई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमंत शेवड़े ने बताया, ‘‘यह विशेषता जोड़ना इसलिए उपयोगी है क्योंकि ‘गंभीर रूप से बीमार’ और ‘गंभीर रूप से बीमार नहीं’ रोगी के बीच मृत्यु की अनुमानित संभावना व्यापक रूप से भिन्न होती है। क्षय रोग से गंभीर रूप से बीमार वयस्क की मृत्यु की अनुमानित संभावना 10 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक होती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि कितनी स्थितियां मौजूद हैं।’’
भाषा यासिर माधव
माधव