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Tuesday, July 8, 2025

एडीएचडी में ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ क्या है? आप इससे कैसे निपट सकते हैं?

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(विक्टोरिया बार्कले-टिमिस, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न क्वींसलैंड)

टुवूंबा (ऑस्ट्रेलिया), सात जुलाई (द कन्वरसेशन) कल्पना कीजिए कि आपके दोस्त ने कुछ घंटों तक आपके संदेश का जवाब नहीं दिया। ज्यादातर लोग सोच सकते हैं, “शायद वह व्यस्त होगा।”

लेकिन ‘अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी)’ से पीड़ित व्यक्ति के मन में इस छोटी सी बात को लेकर तरह-तरह के विचारों की बाढ़ आ सकती है, जैसे कि ‘वह मुझसे नफरत करने लगा होगा!’ या ‘रिश्ता खराब हो गया है!’

वास्तविक या काल्पनिक अस्वीकृति के प्रति ऐसी तीव्र भावनात्मक प्रतिक्रिया ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ कहलाती है।

यह शब्द कोई औपचारिक निदान नहीं है, लेकिन अध्ययन और नैदानिक कार्य, दोनों में इस पर ध्यान बढ़ रहा है, खास तौर पर उन वयस्कों के बीच जो खुद को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं।

तो आखिर ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ क्या है? यह एडीएचडी से कैसे जुड़ा हुआ है? और हम इससे अधिक उदारता के साथ कैसे निपट सकते हैं?

यह आलोचना को नापसंद करने से कहीं ज्यादा है

-जब किसी की आलोचना की जाती है या उसे नजरअंदाज किया जाता है, तो उसका दुखी होना स्वाभाविक है। लेकिन ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ का मतलब किसी की “प्रतिक्रिया को नापसंद करने” भर से नहीं है। ‘डिस्फोरिया’ शब्द का अर्थ तीव्र भावनात्मक संकट है।

‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ के शिकार लोग कथित अस्वीकृति के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, भले ही वास्तव में किसी ने कुछ क्रूर नहीं कहा या किया हो।

‘मुझे लगा कि तुम ऐसा ही करोगे’ जैसी कोई भी टिप्पणी शर्म, शर्मिंदगी या आत्म-संदेह की भावना को जन्म दे सकती है।

भावनात्मक दर्द अक्सर तीव्र और तुरंत महसूस होता है, जिसके कारण कुछ लोग खुद को बचाने के लिए पीछे हट जाते हैं, बेवजह माफी मांगते हैं या भड़क उठते हैं।

एडीएचडी में मस्तिष्कीय और भावनात्मक अतिसंवेदनशीलता

-एडीएचडी अक्सर ध्यान या आवेगशीलता से जुड़ा होता है, लेकिन इसका एक प्रमुख (और अक्सर अनदेखा किया जाने वाला) घटक भावनात्मक असंतुलन यानी मजबूत भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को स्वीकार करने और उनसे उबरने में कठिनाई है।

यह कोई चरित्र दोष नहीं है; यह एक तंत्रिका तंत्र संबंधी है। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि एडीएचडी से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क के एमिग्डाला (भावनात्मक अलार्म प्रणाली) और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (जो आवेग और भावनाओं को नियंत्रित करता है) भागों के एक साथ काम करने के तरीके में अंतर होता है।

इसका नतीजा यह होता है कि एडीएचडी के शिकार लोगों को भावनात्मक अनुभव अधिक कष्ट देते हैं और उन्हें शांत होने में अधिक समय लगता है।

साल 2018 में हुए एक अध्ययन में एडीएचडी से पीड़ित लोगों की भावना नियंत्रण प्रणाली में इस असंतुलन पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें बताया गया है कि तार्किक सोच शुरू होने से पहले तीव्र भावनाएं ‘कैसे हावी हो जाती हैं।’

अध्ययन क्या कहते हैं?

-साल 2024 में हुए एक अध्ययन में एडीएचडी के लक्षणों और अस्वीकृति संवेदनशीलता के बीच मजबूत संबंध को रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि एडीएचडी के तीव्र लक्षण वाले छात्रों में अस्वीकृति के प्रति संवेदनशीलता काफी अधिक देखी गई, जिसमें नकारात्मक मूल्यांकन या आलोचना किए जाने का बढ़ा हुआ डर भी शामिल है।

इसके अलावा, 2018 में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि एडीएचडी के लक्षण वाले किशोर अपने साथियों की प्रतिक्रिया के प्रति कहीं अधिक संवेदनशील होते हैं। उनके मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियों के अध्ययन से पता चला कि वे प्रशंसा और आलोचना, दोनों के प्रति भावनात्मक रूप से अधिक प्रतिक्रियाशील थे।

ये निष्कर्ष उस चीज को प्रतिबिंबित करते हैं, जो मैं अपने क्लीनिक में रोजाना देखता हूं। मैं 13 साल के एक लड़के का इलाज कर रहा हूं, जो रचनात्मक, सहानुभूतिपूर्ण और संभावनाओं से भरा हुआ है, फिर भी अस्वीकृति के गहरे डर से जुड़ी सामाजिक चिंता अक्सर उसे पीछे धकेलती है।

इस लड़के ने एक बार मुझसे कहा था, ‘‘अगर मैं मना कर दूंगा, तो वे मुझे पसंद करना छोड़ देंगे।’’ यह डर उसे सिर्फ शांति बनाए रखने और संबंध खोने से बचने के वास्ते ऐसी चीजें करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिनका बाद में उसे पछतावा होता है।

सामाजिक प्रतिक्रिया को लेकर लगातार अत्यधिक सतर्कता मानसिक रूप से थका देने वाली होती है। बिना किसी सहायता के, यह आगे चलकर शर्म, आत्मविश्वास में कमी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में बदल सकती है।

एडीएचडी से पीड़ित वयस्क भी इससे अछूते नहीं हैं। 2022 में हुए एक अध्ययन में पता लगाया गया कि एडीएचडी के शिकार वयस्क आलोचना को कैसे लेते हैं। इसमें पाया गया कि कई लोग इसे लगातार असफलता, आत्म-सम्मान को ठेस और भावनात्मक प्रतिक्रियाशीलता से जोड़ते हैं, यहां तक कि तब भी जब आलोचना रचनात्मक या हल्की थी।

मैं पेशेवर जीवन में सफल एक महिला का भी इलाज कर रहा हूं, जिसकी उम्र 50 साल से अधिक है। उसने ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ को समझने को ‘पहेली के लापता टुकड़े को खोजने’ के रूप में वर्णित किया।

हर भूमिका में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बावजूद वह लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित थी कि सहकर्मी उसके बारे में क्या सोचते हैं। जब उसे काम के सिलसिले में कोई छोटी-सी औपचारिक शिकायत मिलती थी, तो वह खुद पर संदेह और शर्म से घिर जाती थी।

शिकायत को नजरअंदाज कर आगे बढ़ने के बजाय वह सोचती थी : “मैं बहुत लापरवाह हूं। शिकायत के प्रति उसकी भावनात्मक संवेदनशीलता के चलते यह सोच वर्षों तक उस पर हावी रही और उसे परेशान करती रही।

इन उपायों से भावनाओं पर काबू पाएं

-अगर आप ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ के शिकार हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि आपको कोई मानसिक बीमारी है या आप कमजोर हैं। इस स्थिति से निपटने की कला सीखना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं। अगर आपको कोई प्रतिक्रिया अच्छी न लगे, तो खुद से कहें कि “यह अस्वीकृति संवेदनशीलता सरीखी महसूस होती है”, जिससे आप भावनाओं का सैलाब उमड़ने से रोक सकते हैं।

इसमें मदद के लिए कुछ उपाय :

तुरंत कोई प्रतिक्रिया न दें। उल्टी गिनती गिनते हुए धीमी सांस लें या किसी दूसरी जगह पर जाएं, ताकि आपका ध्यान हटे, तार्किक सोच को बढ़ावा मिले और आपको भावनाओं पर फिर से नियंत्रण हासिल हो सके।

खुद से सवाल करें कि “और क्या सच हो सकता है?” या “मैं ऐसा महसूस करने वाले किसी दोस्त से कैसे बात करूंगा?”

विशेषज्ञ की मदद लें।

एडीएचडी और ‘अस्वीकृति संवेदनशीलता डिस्फोरिया’ को समझने वाले किसी मनोवैज्ञानिक की मदद से इन प्रतिक्रियाओं से निपटने और भावनाओं पर काबू पाने की कला सीखी जा सकती है।

अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करते हैं या रहते हैं, जिसे एडीएचडी है तो आप स्पष्ट और विनम्र तरीके से प्रतिक्रिया देने का प्रयास करें। व्यंग्य या अस्पष्ट वाक्यांशों से बचें। थोड़ी अतिरिक्त स्पष्टता बहुत मददगार साबित हो सकती है।

(द कन्वरसेशन) नरेश पारुल

नरेश

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