(नमिता तिवारी)
रांची, सात जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि स्मार्टफोन से लेकर विशेष ऐप तक और आंगनवाड़ी केंद्रों से लेकर संसद तक, डिजिटल प्रणालियां देश में महिला एवं बाल कल्याण के परिदृश्य को तेजी से बदल रही हैं, जिससे सेवा वितरण तेज, अधिक पारदर्शी और सुलभ हो रहा है।
देवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में अपने 28 साल के राजनीतिक सफर पर प्रकाश डाला। उन्होंने तीन छोटे बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी संभाल रही एक युवा गृहिणी से लेकर वैश्विक मंचों पर महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली केंद्रीय मंत्री बनने की कहानी बयां की। देवी ने उन महत्वपूर्ण प्रगतियों को भी रेखांकित किया, जो भारतीय महिलाओं ने पिछले कुछ वर्षों में हासिल की हैं।
देवी ने कहा, ‘पहले सब कुछ हाथों से किया जाता था, जो बहुत कठिन था। लेकिन अब पोषण ट्रैकर ऐप जैसे उपकरणों के साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लाभार्थियों का विवरण तुरंत दर्ज कर सकती हैं, दोहराव से बच सकती हैं और जवाबदेही सुनिश्चित कर सकती हैं। हमने उनके काम को आसान बनाने और गड़बड़ियां रोकने के लिए उन्हें स्मार्टफोन प्रदान किए हैं।’
पोषण ऐप को हाल ही में सिविल सेवा दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई थी। इस ऐप को तीन साल से कम उम्र के बच्चों के गृह भ्रमण डेटा और तीन-छह वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए वीडियो-आधारित शिक्षण मॉड्यूल के साथ एकीकृत किया गया है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री देवी ने कहा, ‘डिजिटल भारत अभियान के तहत कई राज्यों ने ‘चेहरे की पहचान करने’ तनकीक का इस्तेमाल करके 100 प्रतिशत वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित की है।’
उन्होंने बताया कि मंत्रालय वन-स्टॉप सेंटर, 181 हेल्पलाइन और अस्थायी आश्रयों के माध्यम से महिला सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार भी कर रहा है, जबकि मिशन वात्सल्य परित्यक्त एवं अनाथ बच्चों के लिए देखभाल गृहों का समर्थन करता है।
देवी ने कहा, ‘हम 14 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों तक पहुंच रहे हैं।’
कानूनी सुधारों के सिलसिले में मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का कठोरता से क्रियान्वयन, कामकाजी महिलाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्यात्मक आंतरिक शिकायत समितियां और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधान न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया को मजबूत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित की जा रही हैं और राज्यों से कहा गया है कि वे बाल विवाह मुक्त अभियान के तहत बाल विवाह रोकने के लिए पंचायतों को सशक्त बनाएं।’
देवी ने कहा कि विकेंद्रीकरण से बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करते हुए देवी ने बताया कि एक गृहिणी के रूप में राजनीति उनके लिए कभी भी विकल्प नहीं थी और 1988 में कैसे उनके जीवन में एक नाटकीय मोड़ आया, जब उनके राजद (राष्ट्रीय जनता दल) विधायक पति रमेश यादव की अचानक मौत हो गई।
देवी ने कहा, ‘मेरे तीन बहुत छोटे बच्चे थे, जिनकी उम्र एक साल, ढाई साल और चार साल थी। जब लोगों ने कहा, ‘अब आप हमारा नेतृत्व करेंगी’, तो मैं हैरत में पड़ गई। मुझे कोई सार्वजनिक अनुभव नहीं था, लेकिन उनके विश्वास ने मुझे ताकत दी।’
देवी ने बिहार की कोडरमा विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा और उसमें जीत दर्ज कीं। उन्होंने चार बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और राज्य सरकार में मंत्री भी रहीं। बाद में उन्होंने झारखंड सरकार में भी मंत्री के रूप में काम किया।
देवी ने कहा, ‘राजनीति कैसे की जाती है, यह समझना सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन मैंने सीख लिया। उस समय बहुत कम महिलाएं राजनीति में थीं। जब मैं राजनीति में सक्रिय हो गई, तब मेरी मां ने मेरे बच्चों की परवरिश की। महिलाओं में दोनों दुनियाओं में संतुलन बनाने की ताकत होती है।’
राजद छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर देवी ने कहा कि यह एक व्यक्तिगत फैसला था।
उन्होंने कहा, ‘झारखंड में राजद की उपस्थिति बेहद कम थी। भाजपा में शामिल होने के फैसवे को मेरे परिवार का समर्थन हासिल था। कोडरमा के लोग हमेशा मेरे साथ खड़े रहे।’
देवी को सात जुलाई 2021 को शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में केंद्र सरकार में शामिल किया गया था। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उनका भाजपा में शामिल होना उनके करियर में एक निर्णायक मोड़ था। कोडरमा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर उन्होंने महत्वपूर्ण छाप छोड़ी।
देवी ने कहा कि उनके राजनीति में कदम रखने के बाद से सामाजिक दृष्टिकोण में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
उन्होंने कहा, ‘1998 में माता-पिता अपनी बेटियों को उत्पीड़न की शिकायत करने से हतोत्साहित करते थे। आज वे उनके साथ खड़े हैं। लड़कियां कहती हैं कि हम चुप नहीं रहेंगे। सोशल मीडिया ने जागरूकता और जवाबदेही बढ़ाई है।’
मानव तस्करी से निपटने के बारे में, खास तौर पर झारखंड जैसे राज्यों में, देवी ने कहा कि मंत्रालय 1098 बाल सहायता हेल्पलाइन सेवा को मजबूत कर रहा है और परिवहन केंद्र पर सहायता डेस्क स्थापित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सुरक्षित शहर परियोजना और निर्भया कोष के तहत सार्वजनिक जगहों को पैनिक बटन, गुलाबी ऑटो, शौचालय और प्रकाश की बेहतर व्यवस्था से सुरक्षित बनाया जा रहा है।
देवी ने कहा, ‘मेरी यात्रा साबित करती है कि अगर एक महिला खुद पर विश्वास करती है और उसे लोगों का समर्थन मिलता है, तो वह किसी भी स्थिति पर जीत हासिल कर सकती है।’
भाषा पारुल माधव
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