मुंबई, सात जुलाई (भाषा) भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने सोमवार को महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद (एमएमसी) की उस अधिसूचना की आलोचना की जिसके तहत होम्योपैथी चिकित्सकों को औषध विज्ञान में छह महीने का कोर्स पूरा करने के बाद आधुनिक दवाएं लिखने की अनुमति मिल जाएगी।
यह आदेश महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद की 30 जून की अधिसूचना के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग ने होम्योपैथी चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में अभ्यास करने के लिए आधुनिक औषध विज्ञान में प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम (सीसीएमपी) शुरू करने की अनुमति दे दी है।
आईएमए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवकुमार उत्तुरे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “यह बिल्कुल गलत है और हम इसके खिलाफ हैं क्योंकि यह मरीजों को साथ धोखा देगा और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को कमजोर करेगा। फिलहाल यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और आईएमए ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसने इस पर स्थगन दिया है।”
उन्होंने कहा कि 2014 में राज्य सरकार ने ‘महाराष्ट्र होम्योपैथिक प्रैक्टिशनर्स एक्ट’ और ‘महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल एक्ट 1965’ में संशोधन किया और होम्योपैथी चिकित्सकों को कुछ शर्तों के तहत आधुनिक दवाएं लिखने की अनुमति दी।
उन्होंने कहा कि आईएमए ने इन संशोधनों को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। हालांकि, इस अधिसूचना के बाद, उन्होंने कहा, “हमें अदालत से संपर्क करना होगा और मामले में तेजी लाने के लिए कहना होगा।”
उन्होंने कहा, “यह अधिसूचना एमएमसी के वैधानिक और नैतिक ढांचे को कमजोर करती है तथा इससे मरीजों में भ्रम की स्थिति पैदा होगी।”
एमएमसी ने इस वर्ष फरवरी में एक बैठक में 2014 के संशोधन को लागू करने का निर्णय लिया।
भाषा
प्रशांत नरेश
नरेश