बेंगलुरु, सात जुलाई (भाषा) कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कोविड के टीकाकरण और हृदयाघात के संबंध में जो बयान दिया था, वो किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे से नहीं दिया था।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा था कि हासन जिले में हाल में दिल के दौरे से हुई मौत की घटनाएं टीकाकरण अभियान से जुड़ी हो सकती हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि टीकों को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई थी।
उनके बयान की भाजपा और बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ जैसे लोगों ने तीखी आलोचना की।
राव ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री की मंशा अच्छी थी, लेकिन कुछ लोगों ने इसे गलत समझ लिया। वह कोविड और उसके टीकाकरण के दुष्प्रभाव के बारे में जानना चाहते थे।’’
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोविड के टीकाकरण को जल्दबाजी में मंजूरी देना और लोगों को वितरित करना भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है, क्योंकि दुनिया भर में हाल ही में हुए कई अध्ययनों से संकेत मिले हैं कि कोविड टीकाकरण दिल के दौरे की बढ़ती संख्या का एक कारण हो सकता है। भाजपा इस मामले पर हमारी आलोचना करने से पहले अपनी अंतरात्मा से सवाल करे।’’
कर्नाटक में हृदयाघात से हुई मौतों के हालिया मामलों की जांच करने वाली विशेषज्ञ समिति ने यह निष्कर्ष निकाला है कि किसी व्यक्ति में समय से पहले हुए हृदय रोग (प्रिमेच्योर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज) का कोविड-19 संक्रमण या कोविड टीकाकरण के बीच कोई संबंध नहीं है।
समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 टीकाकरण दीर्घकालिक रूप से हृदयाघात की घटनाओं के खिलाफ सुरक्षात्मक साबित हुआ है।
राज्य सरकार ने हासन जिले में हृदयाघात से हुई 20 से अधिक लोगों की मौत की जांच के लिए ‘जयदेव हृदय विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान’ के निदेशक डॉ. रवीन्द्रनाथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की है।
सरकार को दो जुलाई को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान आंकड़ा इस बात का समर्थन नहीं करता है कि युवाओं के बीच अचानक हृदयाघात की घटनाओं में हुई वृद्धि के लिए लंबे समय तक हुआ कोविड जिम्मेदार है।
भाषा
प्रीति सुरेश
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