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Tuesday, July 8, 2025

एसएससी मामला: अदालत ने दागी अभ्यर्थियों को नयी स्कूल नौकरी भर्ती में भाग लेने से रोका

Newsएसएससी मामला: अदालत ने दागी अभ्यर्थियों को नयी स्कूल नौकरी भर्ती में भाग लेने से रोका

कोलकाता, सात जुलाई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को 2016 की चयन प्रक्रिया के चिह्नित दागी अभ्यर्थियों को 2025 की नयी भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से रोकने का सोमवार को निर्देश दिया, जिसे डब्ल्यूबीएसएससी ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार अधिसूचित किया है।

अदालत ने साथ ही आदेश दिया कि यदि ऐसा कोई दागी अभ्यर्थी पहले ही नौकरी के लिए आवेदन कर चुका पाया जाता है, तो एसएससी ऐसे आवेदन को रद्द माने।

न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य की पीठ ने एसएससी द्वारा जारी 2025 भर्ती दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई के बाद निर्देश पारित किया और स्पष्ट रूप से कहा कि आयोग को उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समयसीमा के अनुसार नयी चयन प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त विद्यालयों में रिक्त शिक्षण एवं गैर-शिक्षण पदों पर नयी भर्ती के लिए एसएससी द्वारा 30 मई से एक के बाद एक अधिसूचनाएं जारी की गई हैं, जिसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 15 जुलाई है। शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, शिक्षण पदों के लिए ही अब तक 3.5 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।

ताजा नोटिस तीन अप्रैल के उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर जारी किए गए, जिसने 2016 के पूरे एसएलएसटी भर्ती पैनल को रद्द कर दिया था और कक्षा नौवीं-12वीं के शिक्षकों के साथ-साथ ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों की 25,753 नियुक्तियों को भी रद्द कर दिया था।

अदालत ने कहा कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार ने पूरी चयन प्रक्रिया को ऐसी क्षति पहुंचाई है जिसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती।

शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया था कि एसएससी को इस वर्ष 31 दिसंबर तक रिक्त पदों के लिए नए सिरे से चयन पूरा करना होगा।

अदालत ने 17 अप्रैल को अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि केवल वे शिक्षक ही, जिनकी पहचान बेदाग के रूप में हुई है, नयी भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक अपने संबंधित पदों पर अध्यापन जारी रख सकते हैं तथा उन्हें नयी चयन प्रक्रिया में नए सिरे से भाग लेने की अनुमति दी।

उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी तत्काल अपील में याचिकाकर्ताओं ने भर्ती दिशानिर्देशों को चुनौती दी, जिसके तहत ‘‘दागी’’ शिक्षकों को नए सिरे से आवेदन करने की अनुमति दी गई है और वास्तव में अनुभव के लिए अधिकतम 10 अतिरिक्त अंक दिए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मौजूदा दिशानिर्देश उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हैं। उन्होंने दावा किया कि भर्ती एसएससी द्वारा 2016 में जारी चयन नियमों के अनुसार की जानी चाहिए।

आयोग की ओर से पेश हुए तृणमूल कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंदोपाध्याय ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय के आदेश में कहीं भी 2016 के पैनल के अयोग्य घोषित किए गए उम्मीदवारों को नयी चयन प्रक्रिया में भाग लेने से विशेष रूप से नहीं रोका गया है।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने पिछले पैनल को खत्म करने और एक नया पैनल गठित करने का निर्देश देते समय अनुभव की योग्यता की अनदेखी करने के पक्ष में कभी फैसला नहीं दिया।

बंदोपाध्याय ने कहा कि जिन उम्मीदवारों की नौकरी पहले ही चली गई है, उन्हें नए चयन में भाग लेने से रोकने का मतलब होगा कि उन्हें एक बार किए गए कथित अपराध के लिए दो बार दंडित किया जाए।

याचिकाकर्ताओं के वकील फिरदौस शमीम ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार और एसएससी दोनों ही अब भी उन दागी शिक्षकों के साथ खड़े होने पर तुले हुए हैं, जिन्होंने अनुचित तरीकों से नियुक्ति हासिल की। लेकिन अदालत ने उनकी दलील को खारिज कर दिया है।’’

आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल प्रवक्ता जय प्रकाश मजूमदार ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने हमेशा उन लोगों के हितों को प्राथमिकता दी है, जिन्होंने इस पूरे संदिग्ध मामले में अपनी नौकरी गंवा दी। राज्य और विद्यालयों में नौकरी चाहने वालों के बीच हितों का कोई टकराव नहीं है। वह उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार काम करती रहेगी और साथ ही पीड़ितों को राहत देने के लिए कानूनी रास्ते तलाशती रहेगी।’’

भाषा अमित नेत्रपाल

नेत्रपाल

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