मुंबई, सात जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने सोमवार को कहा कि माशेलकर समिति की रिपोर्ट सरकार विधानसभा में पेश करेगी जिसमें राज्य के विद्यालयों में कक्षा एक से हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने की सिफारिश की गई है।
मराठी भाषा विभाग की अनुपूरक मांगों पर चर्चा में विधानसभा में बोलते हुए सामंत ने कहा कि माशेलकर समिति की रिपोर्ट 22 फरवरी, 2022 को तत्कालीन सरकार को सौंपी गई थी।
उन्होंने सदन में कहा, ‘‘यह रिपोर्ट इस बारे में थी कि एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के अनुसार उच्च और तकनीकी शिक्षा कैसी होनी चाहिए। (उसमें) सिफारिश की गई थी कि हिंदी को कक्षा एक से 12 तक अनिवार्य भाषा बनाया जाए।’’
उन्होंने बताया कि राज्य सूचना विभाग ने भी (तत्कालीन) मुख्यमंत्री के हवाले से सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि रिपोर्ट सौंप दी गई है और स्वीकार कर ली गई है।
उन्होंने उद्धव ठाकरे का उल्लेख किए बिना सवाल किया, ‘‘उस समय मुख्यमंत्री कौन था?’
ठाकरे नवंबर 2019 से जून 2022 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
सामंत ने कहा कि महायुति सरकार ने पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य भाषा नहीं बनाया है। सामंत ने कहा, ‘सरकार सदन में माशेलकर रिपोर्ट पेश करेगी।’
हिंदी और त्रिभाषा नीति पर दो सरकारी संकल्पों (जीआर) को वापस लेते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कक्षा एक से त्रिभाषा फार्मूला लागू करने के माशेलकर समिति के सुझावों को स्वीकार कर लिया था।
फडणवीस ने एक संवाददाता सम्मेलन में मंत्रिमंडल बैठक के विवरण पर ठाकरे के हस्ताक्षर भी दिखाए थे, जिसमें कहा गया था कि माशेलकर समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई है।
उस समय के दावों का जवाब देते हुए ठाकरे ने कहा था कि रिपोर्ट उनके कार्यकाल के दौरान पेश की गई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी क्योंकि ‘उसके तुरंत बाद ही हमारी सरकार गिर गई थी।’
भाषा अमित माधव
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