26.4 C
Jaipur
Monday, September 1, 2025

पुरी जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद तैयार, अब होगी खजाने की गिनती!

Fast Newsपुरी जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद तैयार, अब होगी खजाने की गिनती!

पुरी, आठ जुलाई (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार या खजाना कक्ष की मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया है और वस्तु सूची संबंधी कार्य राज्य सरकार की अनुमति मिलने के बाद शुरू किया जाएगा। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

यह घोषणा श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी और एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् डी. बी. गरनायक ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में की।

एएसआई तटीय नगर में स्थित इस 12वीं शताब्दी के मंदिर का संरक्षक है।

पाधी ने कहा, ‘‘ईश्वर की अनंत कृपा से रत्न भंडार के बाहरी और भीतरी दोनों कक्षों का संरक्षण और मरम्मत कार्य आज पूरा हो गया।’’

बाहरी कक्ष का उपयोग मंदिर के अनुष्ठानों और त्योहारों के लिए आभूषणों को रखने और निकालने के लिए नियमित रूप से किया जाता है। सोने और हीरे से बने सबसे कीमती आभूषण भीतरी कक्ष में रखे जाते हैं। यह कक्ष पिछले 46 वर्ष से नहीं खोला गया है क्योंकि उसकी संरचनात्मक मजबूती को लेकर चिंताएं थीं।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पाधी ने कहा, ‘‘संरक्षण कार्य एएसआई द्वारा 95 दिन में लगभग 333 घंटे तक किया गया। भगवान के खजाने के संरक्षण के लिए कुल 80 लोगों ने मिलकर कार्य किया।

उन्होंने कहा कि वस्तु सूची से संबंधित कार्य राज्य सरकार की अनुमति मिलने के बाद ही शुरू किया जाएगा।

पुरी का जगन्नाथ मंदिर राज्य सरकार के विधि विभाग के अंतर्गत कार्य करता है।

पाधी ने कहा कि लोहे के संदूकों और अलमारियों में रखे आभूषण और अन्य कीमती सामान पिछले साल जुलाई में दो चरणों में मंदिर के भीतर अस्थायी कक्षों में स्थानांतरित किए गए थे। उस समय चार दशक बाद रत्न भंडार खोला गया था।

See also  खबर उप्र एम्स मुर्मू

उन्होंने बताया कि अब जबकि मरम्मत का कार्य पूरा हो गया है, ये सभी बहुमूल्य वस्तुएं जल्द ही रत्न भंडार के भीतर ले जायी जाएंगी।

आखिरी बार मंदिर की वस्तु सूची 1978 में बनायी गयी थी।

मंदिर सूत्रों ने बताया कि वस्तु सूची के अनुसार मंदिर के पास 128 किलोग्राम सोना और 200 किलो से अधिक चांदी है। कुछ आभूषणों पर सोने की परत चढ़ाई गयी है और उस समय उनका वजन नहीं तौला जा सका था।

पाधी ने कहा, ‘‘भगवान की कृपा से मरम्मत का कार्य आठ जुलाई को देवी-देवताओं के ‘नीलाद्रि बिजे’ से पहले पूरा हो गया।’’

भगवान बलभद्र, देवी सुभद्र और भगवान जगन्नाथ के मंदिर के गर्भगृह में लौटने के अवसर को ‘नीलाद्रि बिजे’ कहा जाता है और इसी के साथ रथ यात्रा संपन्न होती है।

भाषा

गोला सिम्मी

सिम्मी

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles