(प्रदीप्त तापदार)
कोलकाता, आठ जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने तृणमूल कांग्रेस पर कट्टरपंथी ताकतों के आगे झुकने और ‘‘चुपके से जनसांख्यिकीय आक्रमण’’ की अनुमति देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 2026 का विधानसभा चुनाव बंगाल और बंगाली हिंदुओं के भाग्य और अस्तित्व का फैसला करेगा।
उन्होंने संकल्प जताया कि भाजपा बंगाल को कभी भी ‘पश्चिम बांग्लादेश’ या ‘इस्लामिक गणराज्य’ नहीं बनने देगी। प्रदेश पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में भट्टाचार्य ने कहा कि बंगाल में राजनीतिक माहौल उसी तरह का है जैसा आजादी के पहले 1946 में उथल-पुथल वाला था।
भाजपा के प्रदेश प्रमुख ने कहा, ‘यह महज एक राजनीतिक मुकाबला नहीं है। यह पहचान और अस्तित्व का संघर्ष है। बंगाली हिंदू अस्तित्व के संकट का सामना कर रहे हैं। भाजपा ही एकमात्र ताकत है जो बंगाली हिंदुओं के अस्तित्व और बंगाल की रक्षा के लिए खड़ी है। हम राज्य को इस्लामिक गणराज्य या पश्चिम बांग्लादेश में तब्दील नहीं होने देंगे।’
राज्यसभा सदस्य भट्टाचार्य ने दावा किया, ‘तृणमूल कांग्रेस ने कट्टरपंथियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वोट बैंक की राजनीति के लिए उन्होंने घुसपैठ के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। 1980 के दशक से ही हम एक मूक जनसांख्यिकीय आक्रमण की चेतावनी देते रहे हैं। अगर हम अभी प्रतिरोध नहीं करते हैं, तो बंगाली हिंदुओं का हश्र बांग्लादेश के हिंदुओं जैसा हो सकता है।’
भट्टाचार्य ने ‘राष्ट्रवादी और उदार मुसलमानों’ से कट्टरवाद और धार्मिक तुष्टीकरण को हराने के पार्टी के मिशन में शामिल होने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘कट्टरपंथ फैल रहा है, लेकिन हम बंगाल को फिर से विभाजित नहीं होने देंगे। भाजपा मुसलमानों के खिलाफ नहीं है; हम उन लोगों के खिलाफ हैं जो पत्थर और तलवार उठाते हैं। हम उनके बच्चों को किताबें और कलम देना चाहते हैं।’
अल्पसंख्यकों को दिए संदेश में भट्टाचार्य ने सवाल किया कि तृणमूल शासन में उन्हें क्या मिला। उन्होंने पूछा, ‘हाल के वर्षों में राजनीतिक हिंसा के लगभग 90 प्रतिशत पीड़ित मुसलमान रहे हैं। तृणमूल ने उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है, लेकिन उनके उत्थान के लिए कुछ नहीं किया। मैं अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों से आग्रह करता हूं कि वे खुद से पूछें कि अपनी वफ़ादारी के बदले में आपको वास्तव में क्या मिला है?’
भट्टाचार्य ने कहा, ‘बड़ी संख्या में मुसलमान हैं, जो कट्टरवाद के खिलाफ हैं। हम उनसे अपील करेंगे कि वे तृणमूल के इस कुशासन के खिलाफ आगे आएं।’
भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर राजनीतिक स्वार्थ के लिए ‘बंगाल की बहुलता से समझौता’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, ‘वह अब मां काली से आगे बढ़कर भगवान जगन्नाथ की ओर बढ़ गई हैं। लेकिन वह तुष्टीकरण की राजनीति करती हैं। हमें तृणमूल से धर्मनिरपेक्षता या बंगाली संस्कृति के पाठ की जरूरत नहीं है।’
भट्टाचार्य (61) के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक यह है कि क्या उनके नेतृत्व में बंगाल भाजपा एक उदारवादी, समावेशी हिंदुत्व की राह पर चलेगी या विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा समर्थित आक्रामक, कट्टरपंथी रुख को जारी रखेगी।
भट्टाचार्य ने वैचारिक मतभेद की किसी भी बात को तुरंत खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘आक्रामक या नरम हिंदुत्व या किसी भी तरह का कोई अंतर नहीं है। बंगाल लाइन और दिल्ली लाइन में कोई अंतर नहीं है। पार्टी ने हमेशा समावेशी राष्ट्रवाद और तुष्टीकरण के बिना एकता में विश्वास किया है। हम बंगाल को भय, भ्रष्टाचार और हिंसा से मुक्त करेंगे।’
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में भट्टाचार्य की नियुक्ति को गुटबाजी से प्रभावित इकाई में एकजुटता लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘भाजपा नेताओं की पुरानी पीढ़ी ने उस समय नींव रखी जब हमारे पास बंगाल में कुछ भी नहीं था। नयी पीढ़ी को उस संघर्ष का महत्व समझना चाहिए। इसी तरह, पुराने नेताओं को यह समझना होगा कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए हमें नए लोगों को शामिल करना होगा। पुराने और नए के बीच कोई टकराव नहीं है। तृणमूल को हराने के लिए हर कोई एकजुट होगा।’
वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले, तृणमूल ने भाजपा के हिंदुत्व के विमर्श का मुकाबला करने के लिए बंगाली उप-राष्ट्रवाद का आह्वान किया और उसे ‘बाहरी लोगों’ की पार्टी करार दिया।
आरोप का जवाब देते हुए भट्टाचार्य ने कहा, ‘बंगाली संस्कृति पर किसी का एकाधिकार नहीं है। भाजपा हर उस बंगाली के साथ खड़ी है जो विकास और सम्मान की आकांक्षा रखता है। हमें तृणमूल में किसी से बंगाली संस्कृति पर शिक्षा की जरूरत नहीं है।’
भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी तात्कालिक प्राथमिकता ऐसे जिलों में भाजपा की उपस्थिति को मजबूत करना और जमीनी स्तर पर नेटवर्क को फिर से सक्रिय करना होगा जहां पार्टी के लिए व्यापक संभावनाएं हैं।
भाषा आशीष प्रशांत
प्रशांत