(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, आठ जुलाई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मंगलवार को कहा कि पूंजी बाजार नियामक अप्रैल, 2024 से जेन स्ट्रीट मामले पर नजर रखे हुए है।
उन्होंने नियामकीय विफलता का आरोप लगाने के प्रयासों को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया।
मीडिया में आ रही खबरों के बाद लिखित बयान में बुच ने जेन स्ट्रीट के खिलाफ सेबी के अंतरिम आदेश के घटनाक्रम का उल्लेख किया।
सेबी ने विदेशी हेज कोष जेन स्ट्रीट पर हेराफेरी के जरिये वायदा एवं विकल्प सौदों से अर्जित 4,800 करोड़ रुपये से अधिक राशि को जब्त करने और उसकी बाजार पहुंच रोकने का पिछले सप्ताह आदेश जारी किया था।
बुच ने बयान में कहा, ‘‘ यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया का एक वर्ग स्पष्ट तथ्यों को नजरअंदाज कर रहा है और यह कहकर गलत कहानी गढ़ने का प्रयास कर रहा है कि सेबी की ओर से नियामकीय विफलता हुई है।’’
बुच ने कहा कि घटनाक्रम से पता चलता है कि सेबी ने मामले की जांच अप्रैल, 2024 में ही शुरू कर दी थी।
उन्होंने कहा कि नियामक ने ‘‘ कई कदम ’’ उठाए हैं, जिनमें सूचकांक में हेरफेर की पहचान, परिपत्र जारी करना और जेन स्ट्रीट को अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025 के बीच कुछ खास ‘ट्रेडिंग पैटर्न’ को बंद करने और रोकने के लिए चेतावनी पत्र जारी करना शामिल है।
अक्टूबर, 2024 में सेबी द्वारा भी नीतिगत हस्तक्षेप शुरू किए गए और अंततः फरवरी, 2025 में सेबी ने एनएसई को जेन स्ट्रीट को ‘बंद करें एवं रोकें’ पत्र जारी करने का निर्देश दिया।
सेबी की ओर से हाल ही में जारी आदेश के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने इस वर्ष मई में बाजार में हेरफेर के माध्यम से लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से व्यापारिक गतिविधियों को पुनः आरंभ किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः यह आदेश जारी किया गया।
जेन स्ट्रीट ग्रुप की स्थापना 2000 में की गई थी। यह एलएलसी वित्तीय सेवा उद्योग में एक वैश्विक स्वामित्व वाली ‘ट्रेडिंग’ कंपनी है। यह अमेरिका, यूरोप और एशिया में पांच कार्यालयों में 2,600 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती है और 45 देशों में ‘ट्रेडिंग’ का संचालन करती है।
भाषा निहारिका अजय
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