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Wednesday, July 9, 2025

यूरोप में उच्च शिक्षा के लिए 101 भारतीय छात्र-छात्राओं को ‘इरास्मस प्लस’ छात्रवृत्ति मिली

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नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) वर्ष 2025 में शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र के लिए 101 भारतीय विद्यार्थियों (50 छात्राएं) को यूरोप में दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम की पढ़ाई के लिए प्रतिष्ठित ‘इरास्मस +’(इरास्मस प्लस) छात्रवृत्ति’ प्रदान की गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

वर्ष 1987 में शुरू किया गया ‘इरास्मस प्लस’ कार्यक्रम विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए ‘यूरोपीय क्षेत्र कार्रवाई योजना’ का हिस्सा है।

यह अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता और शैक्षणिक आदान-प्रदान के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) की प्रमुख पहल है।

भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘50 छात्राओं सहित 101 भारतीय विद्यार्थियों को 2025 से शुरू होने वाले शैक्षणिक वर्ष के लिए यूरोप में दो वर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम के लिए प्रतिष्ठित ‘इरास्मस+’ छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।’’

इसमें कहा गया है कि वर्ष 2014 से भारत समग्र रूप से इस छात्रवृत्ति का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है। यह यूरोपीय संघ के साथ भारत की मजबूत और विस्तारित शैक्षणिक साझेदारी को उजागर करता है।

बयान के मुताबिक, ‘इरास्मस प्लस’ छात्र आमतौर पर कम से कम दो यूरोपीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन करते हैं और एक संयुक्त, दोहरी या एकाधिक डिग्री प्राप्त करते हैं।’’

बयान में कहा गया है कि छात्रवृत्ति में ट्यूशन शुल्क, यात्रा और रहने का खर्च शामिल है, जिससे प्राप्तकर्ताओं को अपनी शैक्षणिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने का एक अनूठा अवसर मिलता है।

इसमें कहा गया है कि इस वर्ष की सूची में भी भारतीय भागीदारी की मजबूत परंपरा जारी रही, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो यूरोपीय संघ-भारत की साझा प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं जैसे कि स्थिरता, नवाचार और समावेशी विकास।

इस साल छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले भारतीय विद्यार्थी देशभर के 20 राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने नयी दिल्ली में एक प्रस्थान-पूर्व समारोह आयोजित किया, जिसमें चयनित छात्र, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के प्रतिनिधि, पूर्व छात्र और प्रमुख हितधारक एक साथ नजर आए।

ये छात्रवृत्ति प्राप्तकर्ता जल्द ही कई देशों और विषयों में अपनी स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने के लिए यूरोप के लिए रवाना होंगे।

छात्रों को बधाई देते हुए भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने कहा, ‘‘इरास्मस प्लस एक छात्रवृत्ति से कहीं अधिक है, यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए एक पासपोर्ट होने के साथ यूरोप में और उसके साथ अवसरों की एक खिड़की है।’’

उन्होंने कहा कि 6,000 से अधिक भारतीय छात्रों और विद्वानों के लिए इसने यूरोप के शीर्ष विश्वविद्यालयों और इसकी अविश्वसनीय रूप से विविध संस्कृतियों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘90,000 से अधिक भारतीय छात्र यूरोप में अध्ययन कर रहे हैं, जो यूरोप की पेशकश के प्रति विश्वास और उत्साह का स्पष्ट संकेत है। ये छात्र गुणवत्ता, विविधता और कम लागत के कारण यूरोप को चुन रहे हैं। यह दर्शाता है कि यूरोप ने उच्च शिक्षा के लिए शीर्ष वैश्विक गंतव्यों में से एक के रूप में अपना स्थान क्यों अर्जित किया है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘अगले दो वर्षों में भारतीय छात्रों को 19 से अधिक यूरोपीय संघ के देशों में अध्ययन करने का अवसर मिलेगा, जिनमें फ्रांस (24), स्पेन (12), बेल्जियम (8), पुर्तगाल (8), जर्मनी (7), इटली (5), पोलैंड (4), चेक गणराज्य (4), ऑस्ट्रिया (3), हंगरी (3), एस्तोनिया (3), नीदरलैंड (2), क्रोएशिया (2), ग्रीस (2), डेनमार्क (1), फिनलैंड (1), नॉर्वे (1), आयरलैंड (1) और लातविया (1) शामिल हैं।’’

बयान में कहा गया है कि भारत ‘इरास्मस+’ कार्यक्रम का लगातार सबसे बड़ा लाभार्थी बना हुआ है और 2004 में इसकी शुरुआत के बाद से 2,200 से अधिक भारतीय छात्रों को प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है।

बयान में कहा गया है कि कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए खोले जाने के बाद से भारतीय छात्रों को 6,000 से अधिक लघु और दीर्घकालिक प्रकृति की ‘इरास्मस प्लस’ छात्रवृत्तियां प्रदान की गई हैं।

भाषा संतोष नरेश

नरेश

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