नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मंगलवार को कहा कि वह 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके सहयोगी महासंघों के मंच द्वारा नौ जुलाई को आहूत राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में भाग नहीं लेगा।
एक बयान के अनुसार, बीएमएस ने कहा है कि कुछ श्रमिक संगठनों ने श्रम संहिताओं को लागू करने की सरकार की योजना के विरोध में बुधवार को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है लेकिन वह इस आंदोलन में भाग नहीं ले रहा है।
बीएमएस ने कहा है कि सरकार ने श्रम संहिताओं में बदलाव करने के उसके सुझाव पर ध्यान दिया है तथा श्रमिकों के हित में ऐसे और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए भी तैयार है।
बीएमएस ने यह भी कहा कि यह विरोध राजनीति से प्रेरित है।
श्रमिक संघों के मंच ने श्रम संहिताओं समेत अपनी 17 सूत्री मांगपत्र पर दबाव बनाने के लिए बुधवार को आम हड़ताल का आह्वान किया है।
उनकी मांगों में निश्चित अवधि की नौकरी वापस लेना और अग्निपथ योजना को खत्म करना, आठ घंटे का कार्यदिवस, गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना की बहाली और ईपीएफओ ग्राहकों के लिए न्यूनतम मासिक पेंशन 9,000 रुपये करना आदि शामिल हैं।
उन्होंने आंगनवाड़ी, आशा और मध्याह्न भोजन, आशा किरण आदि योजनाओं से संबद्ध कर्मियों को श्रमिक का दर्जा देने तथा उन्हें ईएसआईसी कवरेज देने के लिए भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश को लागू करने की भी मांग की है।
इसके अलावा, श्रमिक संगठनों ने भारतीय रेलवे, सड़क परिवहन, कोयला खदानों और अन्य गैर-कोयला खदानों, बंदरगाह और गोदी, रक्षा, बिजली, डाक, दूरसंचार, बैंक और बीमा क्षेत्र आदि के निजीकरण को तत्काल रोकने की मांग की है।
उन्होंने आयुध कारखानों के निगमीकरण को वापस लेने और हर पांच साल में मूल्य सूचकांक के साथ 26000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन की भी मांग की।
श्रमिक संघों के मंच ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्री मांगों का एक चार्टर सौंपा था। श्रमिक संघ मंच ने अपने नवीनतम बयान में यह बात कही।
भाषा राजकुमार संतोष
संतोष