गोण्डा (उप्र), आठ जुलाई (भाषा) गोण्डा में पौराणिक मनोरमा नदी के पुनर्जीवन की पहल का शुभारंभ श्रमदान के माध्यम से किया गया।
यह अभियान राज्य सरकार द्वारा पारंपरिक नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए चलाए जा रहे राज्यव्यापी प्रयासों का हिस्सा है। इटियाथोक विकासखंड के सिसई बहलोलपुर गांव से इस अभियान की शुरुआत हुई।
राज्य सरकार द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक कार्यक्रम में पंडरी कृपाल, इटियाथोक, रुपईडीह और मुजेहना ब्लॉक से आए 200 से अधिक ग्रामीणों, युवाओं, ग्राम प्रधानों, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं जनप्रतिनिधियों ने श्रमदान कर इस मुहिम को व्यापक जन समर्थन प्रदान किया।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि मनोरमा नदी केवल जल स्रोत नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक स्मृति और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इसका पुनर्जीवन गोण्डा के स्वाभिमान से जुड़ा है और यह कार्य प्रशासन व जनता की साझा जिम्मेदारी है।
मनोरमा नदी के पुनर्जीवन के लिये बहुस्तरीय और बहुआयामी कार्ययोजना तैयार की गई है। योजना के तहत गोण्डा-बलरामपुर रोड से लेकर ताड़ी लाल गांव तक नदी की गाद एवं अतिक्रमण को हटाया जाएगा और जलधारा को पुनः प्रवाहित किया जाएगा। इस कार्य के लिए जेसीबी व पोकलैंड मशीनों द्वारा सफाई कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। साथ ही नदी के दोनों किनारों पर पीपल, नीम और पाकड़ जैसी देशी प्रजातियों के वृक्षों का रोपण करके हरियाली और जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने की भी योजना है।
वन विभाग को वृक्षारोपण तथा सिंचाई विभाग को नदी के प्रवाह पथ और संरचना का तकनीकी आकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभिन्न विभागों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस तंत्र भी तैयार किया गया है।
इस अभियान में ग्राम पंचायतों, सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवी समूहों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे यह प्रयास केवल सरकारी कार्यक्रम न रहकर सामाजिक चेतना का सशक्त उदाहरण बन सके।
जिलाधिकारी ने कहा कि मनोरमा पुनर्जीवन की यह पहल जन-सहभागिता आधारित जल संरक्षण, हरित विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
भाषा सलीम
अमित
अमित