नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने यमन में उस भारतीय नर्स को बचाने के लिए केंद्र को राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सहमति जताई जिसे हत्या के आरोप में 16 जुलाई फांसी दिए जाने की संभावना है।
अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के.आर. ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि मामले में जल्द से जल्द राजनयिक माध्यमों की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जे. बागची ने मामला 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
उन्होंने दलील दी कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ‘‘दियात’’ के माध्यम से क्षमादान पर विचार किया जा सकता है।
‘‘दियात’’ का मतलब उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की तरफ से पीड़ित परिवार को दिया जाता है।
उन्होंने दलील दी कि अगर ‘‘दियात’’ का भुगतान किया जाता है, तो मृतक का परिवार केरल की नर्स को माफ कर सकता है।
पीठ ने वकील से याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल को देने को कहा और उनकी सहायता मांगी।
केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई।
वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं।
यह याचिका ‘‘सेव निमिषा प्रिया – इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’’ नामक एक संगठन द्वारा दायर की गई है, जो निमिषा प्रिया की सहायता के लिए कानूनी सहायता प्रदान करता है।
याचिका में एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि यमन के प्रशासन ने निमिषा प्रिया को फांसी देने की संभावित तारीख 16 जुलाई तय की है।
भाषा सुरभि मनीषा
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