(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, नौ जुलाई (भाषा) नेपाल में विशेषज्ञों ने बुधवार को आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए दक्षिण एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर बुधवार को जोर दिया।
विशेषज्ञों ने नेपाल अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सहभागिता संस्थान (एनआईआईसीई) द्वारा आयोजित ‘दक्षिण एशिया में आतंकवाद: क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए चुनौतियां’ विषय पर एक संगोष्ठी के दौरान यह कहा।
पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुनील बहादुर थापा ने सचेत किया कि भारत के लिए खतरा पैदा करने वाले पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे चरमपंथी समूह नेपाल को पारगमन मार्ग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पूर्व महिला, बाल एवं वरिष्ठ नागरिक मंत्री चंदा चौधरी ने सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए धन शोधन पर अंकुश लगाने को एक प्रमुख रणनीति बताया।
पूर्व विदेश सचिव दिनेश भट्टाराई ने भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को हाल के वर्षों का सबसे घातक हमला बताते हुए कहा कि हमलावरों ने पीड़ितों से पहले उनका धर्म पूछा और फिर उन्हें सिर पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
पूर्व विदेश मंत्री एन. पी. सौद ने दक्षिण एशिया में सभी आतंकवादी कृत्यों की निंदा की और इस खतरे से निपटने के लिए क्षेत्रीय सरकारों के बीच सहयोग मजबूत करने का आग्रह किया।
नेपाल सेना के पूर्व मेजर जनरल पूर्ण सिलवाल ने आतंकवाद-रोधी कदमों में दोहरे मानदंडों के प्रति आगाह किया और चेतावनी दी कि ऐसी विसंगतियां आतंकवाद के उन्मूलन के प्रयासों को कमजोर कर सकती हैं।
पूर्व विदेश सचिव मधु रमन आचार्य ने भारत और नेपाल के बीच खुफिया जानकारी साझा किए जाने और सीमा पर संयुक्त गश्त के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि नेपाल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।
भाषा
सिम्मी नरेश
नरेश