(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर ईश्वर की कृपा रही तो वह अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
उन्होंने यह टिप्पणी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की।
उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, ‘ईश्वर की कृपा रही तो मैं सही समय पर, अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त हो जाऊंगा।’
धनखड़ का 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में पांच साल का कार्यकाल 10 अगस्त, 2027 को समाप्त हो जाएगा।
पेशे से वकील धनखड़ को जब भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना था तब वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे।
धनखड़ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय के साथ-साथ इसकी बौद्धिक व सांस्कृतिक गरिमा का भी विकास होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की शक्ति उसके विचारों की मौलिकता और मूल्यों की शाश्वतता में निहित होती है।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि स्वदेशी दृष्टिकोण को ‘आदिम अतीत के अवशेष’ बताकर खारिज कर दिया गया और स्वतंत्रता के बाद भी चुनिंदा स्मृतियां बरकरार रहीं।
धनखड़ ने कहा कि पाश्चात्य सिद्धांतों को सार्वभौमिक सत्य के रूप में ‘प्रचारित’ किया गया। उन्होंने कहा, ‘यह विलोपन और विनाश का प्रतीक था।’
भाषा जोहेब आशीष
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