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Saturday, July 12, 2025

महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के अवकाश प्रस्ताव को ‘दिखावटी’ बताया

Newsमहबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के अवकाश प्रस्ताव को 'दिखावटी' बताया

श्रीनगर, 10 जुलाई (भाषा) जम्मू कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर द्वारा पुलवामा के विधायक वहीद पारा के 13 जुलाई और पांच दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश बहाल करने के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘यह कवायद किसी गंभीर प्रयास की बजाय दिखावटी लगती है।’

पीडीपी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में महबूबा ने कहा, ‘उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा 13 जुलाई और पांच दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के बारे में उपराज्यपाल को भेजा गया प्रस्ताव तब प्रभावी होता जब विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा में पीडीपी के इसी प्रस्ताव का समर्थन किया होता।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अध्यक्ष द्वारा प्रस्ताव को पूरी तरह से अस्वीकार करना अप्रत्याशित और निराशाजनक था। आज की यह कवायद किसी गंभीर प्रयास से ज्यादा दिखावटी लग रही है।’

पीडीपी प्रमुख ने कहा कि प्रस्ताव को वापस लेने से इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का दोहरा रवैया उजागर हो गया है।

इस बीच सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 13 जुलाई, 1931 को जम्मू कश्मीर के डोगरा महाराजा हरि सिंह की सेना की गोलियों से ‘शहीद’ हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए श्रीनगर जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति मांगी है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने श्रीनगर के डीएम को लिखे पत्र में कहा कि पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पार्टी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी रविवार (13 जुलाई) को सुबह आठ बजे नौहट्टा के पास नक्शबंद साहिब में ‘शहीदों’ के कब्रिस्तान का दौरा करना चाहते हैं।

सागर ने पत्र में लिखा, ‘यह अनुरोध किया जाता है कि कृपया प्रस्तावित समय की पुष्टि करें या समय तय करें ताकि इस संबंध में किसी भी प्रकार का भ्रम न रहे… पार्टी दिए गए तय समय का पालन करेगी।’

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा कि दशकों से पार्टी 1931 में किए गए वीरतापूर्ण बलिदानों के सम्मान में 13 जुलाई को ‘शहीद दिवस’ ​​मनाती आ रही है।

अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने से पहले 13 जुलाई को जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक अवकाश हुआ करता था।

भाषा शुभम रंजन

रंजन

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