पटना, 10 जुलाई (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संबंध में उच्चतम न्यायालय का आदेश ‘मतदाताओं की मूल आशंकाओं की पुष्टि करता है’ जो निर्वाचन आयोग की इस प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं में परिलक्षित होती है।
पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय ने बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा अचानक शुरू किए गए एसआईआर अभियान में निहित मूलभूत संवैधानिक और कानूनी विसंगतियों और अनियमितताओं, बिहार के आम मतदाताओं द्वारा अनुभव की जा रही समस्याओं और असुविधाओं का संज्ञान लिया है। इस अर्थ में उच्चतम न्यायालय का आदेश मतदाताओं की मूल आशंकाओं और आपत्तियों की पुष्टि करता है, जो उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई की जा रही याचिकाओं में परिलक्षित होती है।’
शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों का एसआईआर जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे ‘संवैधानिक आदेश’ बताया। हालांकि, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आयोग के इस कदम के समय पर सवाल उठाया और कहा कि एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर दस्तावेज के तौर पर विचार किया जा सकता है।
भट्टाचार्य उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने निर्वाचन आयोग की इस कवायद को रोकने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।
भाषा
शुभम माधव अविनाश
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