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Saturday, July 12, 2025

दक्षिण-पूर्व एशियाई साइबर अपराधियों के मददगार गिरोह का भंडाफोड़

Newsदक्षिण-पूर्व एशियाई साइबर अपराधियों के मददगार गिरोह का भंडाफोड़

सहारनपुर (उप्र), 10 जुलाई (भाषा) सहारनपुर जिले में पुलिस ने थाईलैंड, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में साइबर अपराधियों को भारतीय डिजिटल पहचान उपलब्ध कराकर उन्हें अपराधी घटनाएं अंजाम देने में मदद करने वाले रैकेट का पर्दाफाश करने का दावा किया है।

सहारनपुर पुलिस ने कहा कि कुछ लोगों ने कथित तौर पर धोखाधड़ी से सिम कार्ड जारी करवाए और ठगों को ठगी करने के लिए ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) उपलब्ध कराए तथा इस तरह विदेशी ठग डिजिटल मंच के जरिए बड़े पैमाने पर ऑनलाइन धोखाधड़ी और मानव तस्करी कर रहे थे।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आशीष तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि स्थानीय निवासी रोहित धीमान की शिकायत के आधार पर 29 दिसंबर 2024 को सहारनपुर साइबर अपराध थाने में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच शुरू हुई थी।

धीमान ने आरोप लगाया था कि उनकी जानकारी या सहमति के बिना सिम कार्ड जारी करने के लिए उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है।

तिवारी ने कहा, ‘‘शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक ऐसे गिरोह की पहचान की जो अक्सर धोखे से आधार और पैन विवरण प्राप्त करके, फर्जी सिम कार्ड बना रहा था। फिर इन सिम कार्डों को सक्रिय किया जाता था और दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर अपराधियों को ओटीपी भेजने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता था। ठग उनका इस्तेमाल भारतीय व्हाट्सएप अकाउंट में ‘लॉग इन’ करने और अवैध ऑनलाइन गतिविधियों के लिए करते थे।’’

एसएसपी ने कहा,‘‘मुख्य आरोपियों में से विपिन कुमार आधार जानकारी में हेराफेरी करके 873 सिम कार्ड जारी करने का दोषी पाया गया। उसने कथित तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में लोगों का नामांकन कराने के नाम पर उंगलियों के निशान और तस्वीरें एकत्र कीं तथा उन्हें बताए बगैर उसने उनके आधार विवरण का इस्तेमाल करके कई सिम जारी करवाये। फिर उसने वे सिम विदेशी ग्राहकों को ओटीपी भेजने वाले व्यक्तियों को सौंप दिये।’’

उन्होंने बताया कि एक अन्य आरोपी सचिन कुमार दूरसंचार कंपनियों के लिए ‘पॉइंट-ऑफ-सेल एजेंट’ के रूप में काम करता था और ग्राहकों के उंगलियों के निशान और तस्वीरें दो बार लेकर, एक साथ दो सिम कार्ड सक्रिय करके उनका डेटा एकत्र करता था।

तिवारी ने कहा, ‘‘कई मौकों पर, उसने ग्राहकों को गलत जानकारी दी कि तकनीकी समस्याओं के कारण उनके सिम जारी नहीं किए जा सकते जबकि वह पहले ही कई सिम सक्रिय करने के लिए उनके विवरण का इस्तेमाल कर चुका था।’’

पुलिस के अनुसार, सचिन कुमार ने अकेले ही एक हजार से ज्यादा सिम कार्ड सक्रिय किये थे जिन्हें उसने अपने साथियों में बांट दिया था। उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के मंगलौर निवासी हुमा और अंतरेफा नाम की दो महिलाएं भी इस रैकेट का हिस्सा हैं। उन्होंने कथित तौर पर सचिन से क्रमशः एक हजार और 800 सिम कार्ड लिए और उनका इस्तेमाल ओटीपी भेजने के लिए किया, जिसके बदले में उन्होंने 80 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति ओटीपी का भुगतान किया।

पुलिस का कहना है कि वे ऑनलाइन नौकरी देने का दावा करने वाले अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे। इन ग्रुप के जरिए वे दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित साइबर अपराधियों के साथ ओटीपी साझा करते थे जिससे उन्हें भारतीय मोबाइल मंच तक पहुंचने में आसानी होती थी। फिर इन खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी की गतिविधियों में किया जाता था।

पुलिस के अनुसार रैकेट से जुड़े वित्तीय लेनदेन का पता लगाने और नेटवर्क की पूरी सीमा का पता लगाने के लिए आगे की जांच चल रही है।

भाषा सं सलीम राजकुमार

राजकुमार

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