बेंगलुरु, 11 जुलाई (भाषा)कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों ने शुक्रवार को कहा कि सत्ता साझा करने और नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ी अपुष्ट चर्चाओं का अब कोई महत्व नहीं रह गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।
मई 2023 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही ऐसी अफवाहें थीं कि सिद्धरमैया और उनके उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच सत्ता साझा करने को लेकर समझौता हुआ है।
कथित समझौते के अनुसार (जिसकी न तो कांग्रेस ने पुष्टि की और न ही खंडन किया) शुरुआती ढाई साल तक सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री रहना था और उसके बाद शिवकुमार को मुख्यमंत्री का पद संभालना था।
हालांकि, सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को दृढ़ता के साथ कहा कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और मुख्यमंत्री का पद ‘रिक्त नहीं’ है।
राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि अगर पार्टी महासचिवों ने इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लिया होता तो भ्रम की स्थिति से बचा जा सकता था।
परमेश्वर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें सत्ता साझा करने से संबंधित समझौते के बारे में कुछ नहीं पता। यह हमारे स्तर पर कभी नहीं आया। अगर यह मुद्दा हमारे सामने उठाया गया होता या कांग्रेस विधायक दल की बैठक में उठाया गया होता—जिसमें हमारे महासचिव भी अक्सर शामिल होते हैं, तो शायद यह भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होती।’’
लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अभी सत्ता-साझा करने के बारे में चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि खासकर शिवकुमार और उनके भाई पूर्व सांसद डी.के. सुरेश, दोनों ने कहा है कि यह पद खाली नहीं है।
जारकीहोली ने कहा, ‘‘अगर आप (पत्रकार) इस बात पर चर्चा शुरू करना चाहते हैं कि अगला मुख्यमंत्री कौन होना चाहिए, तो आप ऐसा कर सकते हैं। हम आपको रोकेंगे नहीं। हमारे स्तर पर यह अध्याय बंद हो चुका है।’’
बेलगावी में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने कहा कि जब राज्य के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर पहले ही बोल चुके हैं, तो उन्हें टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है।
भाषा संतोष दिलीप
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