(लक्ष्मी गोपालकृष्णन)
तिरुवनंतपुरम, 12 जुलाई (भाषा) केरल विश्वविद्यालय के कुलपति मोहनन कुन्नुमल ने शनिवार को आरोप लगाया कि ‘असामाजिक तत्व’ बाहुबल का इस्तेमाल करके केरल विश्वविद्यालय पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने वामपंथी-प्रभुत्व वाले सिंडिकेट, सत्तारूढ़ माकपा के छात्र व युवा संगठनों पर गंभीर आरोप लगाए। कुलपति ने उनपर विश्वविद्यालय परिसर में कदम रखने पर शारीरिक हमला करने की धमकी देने का भी आरोप लगाया।
कुलपति ने कहा कि वे कंप्यूटर सेंटर और विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को उनके निर्देशों का पालन करने और उन्हें (कुलपति को) फाइलें भेजने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं।
कुलपति ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में आरोप लगाया कि केरल विश्वविद्यालय में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है और ‘बाहुबल’ का इस्तेमाल करके ‘असामाजिक तत्व’ इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मौजूदा हालात में छात्रों को परेशानी होने की संभावना है। क्योंकि वे कुलपति को परिसर में प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं। मैं अभी विश्वविद्यालय नहीं जा रहा, क्योंकि मैं वहां कानून-व्यवस्था से जुड़ी कोई समस्या उत्पन्न नहीं करना चाहता।”
विश्वविद्यालय परिसर के अंदर जारी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के बीच कुलपति का यह बयान आया है। कार्यकर्ताओं ने हाल ही में कुलपति के खिलाफ नारे लगाते हुए विश्वविद्यालय में धावा बोल दिया था।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो यहां तक कहा कि कुलपति को परिसर में पैर रखने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
कुलपति कुन्नुमल द्वारा रजिस्ट्रार को निलंबित किए जाने के बाद, इस महीने की शुरुआत से ही वामपंथी छात्रों और युवा संगठनों की वजह से केरल विश्वविद्यालय में नाटकीय दृश्य और अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं।
दरअसल, रजिस्ट्रार ने सीनेट हॉल में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के एक निजी कार्यक्रम को रद्द करने का नोटिस जारी किया था, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इस कार्यक्रम में भगवा ध्वज थामे भारत माता का चित्र प्रदर्शित किया गया था।
कुलपति ने कहा कि उन्हें परिसर में जाने में कोई समस्या नहीं है और पुलिस उनकी सुरक्षा का ध्यान रखेगी।
उन्होंने कहा, “लेकिन, अगर मैं वहां गया, तो हिंसा होगी। पुलिस छात्रों को पीटेगी और कानून प्रवर्तन अधिकारी भी घायल होंगे। मैं ऐसी स्थिति क्यों पैदा करूं? एक चिकित्सक होने के नाते, मेरा हमेशा से मानना है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है।”
कुन्नुममल ने हाल ही में निलंबित किए गए रजिस्ट्रार के.एस. अनिल कुमार की भी कड़ी आलोचना की। हालांकि सिंडिकेट ने उनके निलंबन को रद्द घोषित कर दिया था।
उन्होंने कुमार पर “अवैध रूप से” रजिस्ट्रार के पद पर कब्जा करने और वामपंथी सिंडिकेट सदस्यों और डीवाईएफआई तथा एसएफआई के कार्यकर्ताओं के समर्थन से बल प्रयोग करते हुए विश्वविद्यालय सीनेट परिसर में स्थित कार्यालय में प्रवेश करने का आरोप लगाया।
भाषा जोहेब संतोष
संतोष