अहमदाबाद, 12 जुलाई (भाषा) अहमदाबाद हवाई अड्डे के निकट मेडिकल हॉस्टल परिसर में एअर इंडिया के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के एक महीने बाद, जले हुए पेड़, कालिख से ढकी दीवारें और खाली इमारतें पिछले एक दशक में हुए सबसे घातक विमान हादसे की भयावह याद दिलाती हैं।
उस दिन, एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई 171 सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद बी. जे. मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। बोइंग 787-8 विमान लंदन (गैटविक) जा रहा था।
विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसमें आग लग गई, जिससे इसमें सवार 242 लोगों में से 241 लोग मारे गए, जबकि जमीन पर बी. जे. मेडिकल कॉलेज के कई छात्रों सहित 19 लोग मारे गए थे।
दुर्घटना के समय, कई मेडिकल छात्र और रेजिडेंट डॉक्टर या तो अपने हॉस्टल के कमरों में थे या दोपहर के भोजन के लिए मेस में इकट्ठा हुए थे।
विमान मेस की इमारत से टकराया, जिससे एक सामान्य दोपहर तबाही के भयावह दृश्य में तब्दील हो गई। हॉस्टल परिसर में मलबा बिखर गया था और क्षतिग्रस्त इमारतों पर अब भी मोटी कालिख जमी हुई है।
अब एक माह बीत चुके हैं और पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी को छोड़कर, दुर्घटनास्थल पर किसी भी प्रकार की गतिविधि के संकेत नहीं दिख रहे।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त जयपाल सिंह राठौर ने कहा कि दुर्घटनास्थल की सुरक्षा के लिए लगभग 50-60 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की आवश्यकता समाप्त होने के संबंध में दो-चार दिनों में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) अपनी रिपोर्ट सौंप देगा उसके बाद वहां से सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया जाएगा।
एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, मलबा लगभग ‘1,000 फुट गुणा 400 फुट’ के क्षेत्र में फैला हुआ था।
इसमें कहा गया है कि विमान का नीचे आना आर्मी मेडिकल कोर परिसर में कई पेड़ों और एक चिमनी से रगड़ खाने के साथ शुरू हुआ और फिर विमान बिल्डिंग ए (मेस बिल्डिंग) की उत्तर-पूर्वी दीवार से टकरा गया।
दुर्घटना स्थल हवाई अड्डे के रनवे के प्रस्थान छोर से केवल 0.9 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
चार छात्रावास भवन-अतुल्यम एक से चार और मेस भवन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। बीजे मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. मीनाक्षी पारिख ने बताया कि लगभग 150 छात्र विस्थापित हो गए और उन्हें तुरंत दूसरे छात्रावासों के खाली कमरों या कॉलेज द्वारा किराये पर लिये गए निजी अपार्टमेंट में स्थानांतरित किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘एक सप्ताह के भीतर ही हमने आवास की वैकल्पिक व्यवस्था कर ली थी। क्षतिग्रस्त मेस भवन अब उपयोग में नहीं है और छात्रों को अब अन्य छात्रावास भवनों में संचालित कैंटीन में भोजन दिया जा रहा है।’’
एएआईबी ने कहा, ‘‘चूंकि विमान की ऊंचाई कम हो रही थी, वह बिल्डिंग ए (हॉस्टल मेस) की उत्तर-पूर्वी दीवार से टकराने से पहले आर्मी मेडिकल कोर परिसर के अंदर कई पेड़ों और एक चिमनी के संपर्क में आया।’’
जिस पेड़ से विमान पहली बार टकराया और बिल्डिंग ए के जिस बिंदु पर विमान टकराया, उनके बीच की दूरी 293 फुट है।
इसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे विमान आगे बढ़ता गया, वह टुकड़े-टुकड़े होता गया और अन्य संरचनाओं तथा वनस्पतियों से टकराता रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान का वर्टिकल स्टेबलाइज़र अलग हो गया और इमारत के पहले संपर्क बिंदु से लगभग 200 फुट दक्षिण में आकर रुका। रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान का पिछला हिस्सा और मुख्य लैंडिंग गियर (एमएलजी) उसी इमारत की उत्तर-पूर्वी दीवार में अटक गए, जबकि विमान का बाकी हिस्सा आगे की ओर बढ़ गया। मेस भवन की क्षतिग्रस्त छत झुकी गई है तथा इसमें एक बड़ा छेद हो गया है।
दुर्घटना के प्रभाव का आगे वर्णन करते हुए, एएआईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान का दाहिना इंजन कंक्रीट के पानी के टैंक की संरचना से टकराया और विमान से अलग होने के बाद उसके नीचे आकर रुक गया।
पहली इमारत से टकराने के बाद विमान के विभिन्न हिस्से अलग हो गए और चार अन्य इमारतों से टकरा गए। दाहिने पंख के हिस्से दो प्रभावित इमारतों और आसपास के इलाकों में पाए गए, जबकि बायां इंजन चौथी इमारत के उत्तरी कोने से जमीनी स्तर पर टकराया।
इसमें कहा गया है, ‘‘इंजन, उससे जुड़े काउलिंग के बचे हुए हिस्से और आसपास के इलाके को आग से भारी नुकसान पहुंचा।’’
भाषा अमित सुरेश
सुरेश