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Sunday, July 13, 2025

शिवाजी के किलों को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने का राज ठाकरे ने स्वागत किया

Newsशिवाजी के किलों को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने का राज ठाकरे ने स्वागत किया

मुंबई, 12 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने शनिवार को छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि इन ऐतिहासिक संरचनाओं पर सभी अनधिकृत निर्माणों को हटा दिया जाना चाहिए, चाहे वे किसी भी समुदाय से संबंधित हों।

ठाकरे ने यह भी कहा कि सरकार को विश्व धरोहर के दर्जे को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यदि मानदंडों का ठीक से पालन नहीं किया गया तो दर्जा छीना जा सकता है।

मराठा शासकों की किलेबंदी प्रणाली का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह निर्णय पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र के दौरान लिया गया।

इनमें महाराष्ट्र में साल्हेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, स्वर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग और सिंधुदुर्ग तथा तमिलनाडु में जिंजी किला शामिल हैं।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘सरकार को इन किलों पर सभी अनधिकृत निर्माण तुरंत ध्वस्त कर देने चाहिए! चाहे अतिक्रमणकारियों का धर्म या जाति कुछ भी हो।’’

उन्होंने परोक्ष तौर पर तमिलनाडु के जिंजी किले की ओेर इशारा करते हुए लिखा, ‘‘इस अवसर पर महाराष्ट्र की उपलब्धियों के बारे में बात करने वालों को पता चलेगा कि शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित स्वराज्य का विचार कितनी दूर तक पहुंचा था और यह भी पता चलेगा कि दो भाषाओं और संस्कृतियों के बीच का पुल कितना पुराना और मजबूत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब, कोई उम्मीद कर सकता है कि महाराष्ट्र के इन 11 किलों का उचित संरक्षण हो। जब यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा देता है, तो इन संरचनाओं के संरक्षण और नवीनीकरण के लिए कड़े मानदंड होते हैं, जिनका पालन करना होगा और हमारे महाराज के किलों को वह ध्यान मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।’’

उन्होंने कहा कि अब, राज्य सरकार को इन किलों के संरक्षण के लिए धन मिलेगा और राज्य को अपनी जेब से भी अधिक धन आवंटित करना चाहिए।

ठाकरे ने कहा कि अतीत में प्रत्येक सरकार ने इन किलों को जर्जर अवस्था में छोड़ दिया था, जिससे दुनिया को इन्हें देखने के लिए आमंत्रित करना तथा शिवाजी महाराज और महाराष्ट्र के वैभव को दिखाना असंभव हो गया था।

भाषा अमित संतोष

संतोष

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