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Sunday, July 13, 2025

जम्मू-कश्मीर की वुलर झील में तीन दशक बाद फिर से कमल के फूल दिखाई दिए

Newsजम्मू-कश्मीर की वुलर झील में तीन दशक बाद फिर से कमल के फूल दिखाई दिए

(शेख सुहैल)

बांदीपोरा (जम्मू कश्मीर), 12 जुलाई (भाषा) लगभग तीन दशकों के बाद, उत्तरी कश्मीर में वुलर झील में एक बार फिर कमल खिले नजर आ रहे हैं। यह 1992 में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद किए गए संरक्षण प्रयासों के कारण संभव हो पाया है। बाढ़ में झील के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुंचाया था।

वुलर झील एशिया की दूसरी सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है।

झील में उगे कमल न केवल पारिस्थितिकी के लिए अहम हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। कुल 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील की लंबाई लगभग 24 किलोमीटर है, जो बांदीपोरा जिले में हरमुख पर्वत श्रृंखला की तलहटी से लेकर पड़ोसी बारामूला जिले के सोपोर शहर तक फैली हुई है।

एक निवासी अब्दुल हमीद ने कहा, “यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।”

उन्होंने बताया कि पहले स्थानीय लोग कमल के बीज झील में डालते थे, लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। हमीद ने कहा, “इससे कोई फायदा नहीं हुआ। गाद की वजह से वे उग नहीं पाए।”

कश्मीर घाटी में 1992 में विनाशकारी बाढ़ आई थी, जिससे जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित वुलर झील के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा था।

बाढ़ के कारण झील में भारी मात्रा में गाद जमा हो गई, जिसने वर्षों से कमल के पौधों को दबा दिया।

पिछले कुछ वर्षों में हालांकि वुलर संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (डब्ल्यूयूसीएमए) द्वारा झील से गाद निकालने सहित संरक्षण प्रयासों के कारण, कमल के फूल एक बार फिर से दिखाई देने लगे हैं।

झील प्राधिकरण के एक अधिकारी मुदासिर अहमद ने कहा, “पिछले साल, कमल के फिर से खिलने के संकेत मिले थे। फिर इस साल, डब्ल्यूयूसीएमए ने झील में कमल के बीज बिखेरे, और कमल खिल गए।”

डब्ल्यूयूसीएमए के क्षेत्रीय अधिकारी अहमद ने कहा कि यह पैदावार (कमल) झील के लगभग तीन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैल गई है, तथा जलाशय के पुनरुद्धार के लिए झील से गाद निकालकर यह बदलाव लाया गया है।

कश्मीर संभाग के मुख्य वन संरक्षक इरफान रसूल ने कहा कि कमल की वापसी झील के बेहतर होते पारिस्थितिक स्वास्थ्य का एक मजबूत संकेतक है, जो दशकों से काफी क्षतिग्रस्त हो गया था, और 27 वर्ग किलोमीटर तक का क्षेत्र भारी मात्रा में गाद से भर गया था, जिससे इसकी जल धारण क्षमता, पारिस्थितिक कार्य और समुदायों की आजीविका प्रभावित हो रही थी।

भाषा प्रशांत माधव

माधव

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