जयपुर, 12 जुलाई (भाषा) राजस्थान की राजधानी जयपुर के 71 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक ताराचंद अग्रवाल ने पिछले सप्ताह चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) की परीक्षा उत्तीर्ण कर दृढ़ इच्छाशक्ति की अनूठी मिसाल पेश की है।
उन्होंने इस उम्र में जो उपलब्धि हासिल की है वह उनकी आधी उम्र के लोगों के लिए आज भी एक बड़ी चुनौती मानी जाती है।
अग्रवाल ने सेवानिवृत्त होने व पत्नी के निधन के बाद एक बार फिर किताबों की ओर रुख किया और इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर दिखाया।
अग्रवाल का जन्म हनुमानगढ़ के संगरिया में खेतीबाड़ी और कारोबार करने वाले एक परिवार में हुआ था और वे आठ भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हैं।
उन्होंने संगरिया में ही अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की, 1974 में दर्शना से विवाह किया और 1976 में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (अब भारतीय स्टेट बैंक) में क्लर्क के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।
बैंक में 38 साल की सेवा के बाद वह 2014 में सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए। नवंबर 2020 में पत्नी के निधन के बाद अग्रवाल ने किताबों की ओर रुख किया।
अग्रवाल ने कहा, ” बहुत खालीपन महसूस होता था। हालांकि, मेरे बच्चे और पोते-पोतियां साथ रहते हैं फिर भी मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था। अपने बच्चों की सलाह पर मैंने भगवद गीता पढ़ना शुरू किया और नयी चीजें सीखने की ललक जगाई।”
जब उन्होंने पीएचडी करने का प्रस्ताव रखा तो उनके बच्चों ने कुछ और भी चुनौतीपूर्ण सुझाया।
ताराचंद अग्रवाल ने कहा, ‘ बच्चों ने कहा कि आप सीए करो। यह मुश्किल है, लेकिन इससे आपको पहचान मिलेगी। मेरी पोती ने कहा कि अगर आप मेरा मार्गदर्शन कर सकते हो, तो आप खुद क्यों नहीं कर सकते?’
प्रोत्साहित होकर अग्रवाल ने जुलाई 2021 में सीए परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया। उन्होंने मई 2022 में फाउंडेशन परीक्षा पास की और जनवरी 2023 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास की। इसके बाद मई 2024 में अपने पहले प्रयास में फाइनल परीक्षा में विफल होने के बाद इस साल सफलता प्राप्त की। आईसीएआई की वेबसाइट पर छह जुलाई को नतीजे घोषित किए गए थे।
ताराचंद ने रोजाना लगभग 10 घंटे तक पढ़ाई की, कंधे के दर्द से जूझते हुए घंटों लिखने का अभ्यास किया। उन्होंने किताबों और यूट्यूब वीडियो पर भरोसा किया और किसी पेशेवर की मदद नहीं ली। कभी-कभी घर के अकेलेपन से बचने के लिए वह अपने छोटे बेटे के जनरल स्टोर पर पढ़ाई करते थे।
उनका बड़ा बेटा ललित दिल्ली में सीए है जबकि छोटा बेटा अमित टैक्स प्रैक्टिस में है। ताराचंद ने कहा कि उनका प्रोत्साहन बहुत ज़रूरी था।
अग्रवाल ने अपने बच्चों की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘उन्होंने मुझे लैपटॉप लाकर दिया, रजिस्ट्रेशन में मदद की और हर कदम पर मेरा साथ दिया। लेकिन सबसे बढ़कर, वह अपनी सफलता का श्रेय अपने ताउजी से मिली एक सीख को देते हैं, जिन्होंने उन्हें गीता सिखाई थी।’
इस सीख का वह हर दिन पालन करते हैं।
ताराचंद ने कहा, ‘मैं जो भी काम करता हूं, उसे पक्का यानी पूरी दृढ़ता से करता हूं। गीता ने मुझे यही सिखाया है।’
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पृथ्वी, रवि कांत
रवि कांत