गाजियाबाद (उप्र) 12 जुलाई (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक स्थानीय अदालत ने सहारनपुर के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के खिलाफ करीब 18 साल पुराने कथित जालसाजी के मामले में ग़ैर जमानती वारंट जारी किया है। एक शासकीय अधिवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी-अपराध) आदेश कुमार त्यागी ने बताया कि सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश (द्वितीय) अरविंद मिश्रा ने शुक्रवार को जालसाजी के एक मामले में मसूद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस को उन्हें 18 जुलाई को अदालत में पेश करने का आदेश दिया।
एडीजीसी त्यागी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को मामले का ब्यौरा देते हुए कहा कि 2007 में सहारनपुर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने मसूद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी) 467/468/और 471 (दस्तावेजों में हेराफेरी, जालसाजी, अभिलेखों में कूटरचना) के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी थी।
त्यागी के मुताबिक मसूद ने आठ मार्च 2007 को सहारनपुर नगर पालिका के अध्यक्ष रहते हुए 40 लाख रुपये का लेन-देन किया था।
एडीजीसी का कहना है कि यह धनराशि पंजाब नेशनल बैंक की अंबाला रोड शाखा के नगर पालिका खाते से एफडी के नाम निकाली गई थी जबकि नगर पालिका ने किसी भी एफडी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन नहीं किया था। इसके बाद उसी खाते में नकद राशि जमा कर दी गई।
त्यागी के अनुसार जांच के दौरान नगर पालिका के कर्मचारी हर्ष मलिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। नगर निगम के अधिशासी अधिकारी ने भी इस धोखाधड़ी में मसूद का नाम लिया। इस पैसे का इस्तेमाल गाजियाबाद की वसुंधरा कॉलोनी में जुल्फिकार के नाम पर एक फ्लैट खरीदने में किया गया। जांच में पता चला कि मसूद उस फ्लैट का इस्तेमाल कर रहे थे।
एडीजीसी का कहना है कि जांच के बाद उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।
मसूद के वकील ने अदालत में एक अर्जी दाखिल की जिसमें उन्होंने कहा कि मसूद के ख़िलाफ़ राजनीतिक रंजिश के चलते प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मामला सहारनपुर से गाजियाबाद स्थानांतरित कर दिया गया था। मसूद निर्धारित तिथियों पर अदालत में पेश नहीं हुए। इसके बाद शुक्रवार को उनके खिलाफ अदालत ने ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया।
भाषा सं आनन्द राजकुमार
राजकुमार