(अजय मसंद)
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) हरिकृष्णन ए रा 2022 में चेन्नई में जब ग्रैंडमास्टर श्याम सुंदर मोहनराज की अकादमी से जुड़े तो उनके बारे में इस कोच ने जो सबसे पहली चीज देखी वह उनका गणना करने का कौशल था।
चौबीस साल के हरिकृष्णन ने शुक्रवार को फ्रांस के ला प्लेन अंतरराष्ट्रीय शतरंज महोत्सव में अपना तीसरा ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल किया और देश के 87वें ग्रैंडमास्टन बने जिससे मोहनराज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि कुछ महीनों के भीतर उनकी अकादमी के दो खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर बने।
चेन्नई के हरिकृष्णन ने अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म कुछ साल पहले हासिल किया था और फिर स्पेन में आंदुजार ओपन में दूसरा नॉर्म हासिल किया।
श्रीहरि एल आर भारत के 86वें ग्रैंडमास्टर थे और अब हरिकृष्णन ने यह उपलब्धि हासिल की है।
मोहनराज ने उस समय को याद किया जब वह एक साल से अधिक समय तक कोई ग्रैंडमास्टर तैयार नहीं कर पाए थे। उन्होंने कहा, ‘‘दो महीने में ही अकादमी ने दो ग्रैंडमास्टर तैयार कर दिए हैं। पिछले दो-तीन वर्षों से जिन ग्रैंडमास्टर्स को मैं लगातार प्रशिक्षित कर रहा हूं, उनकी वजह से यह बहुत अच्छा लग रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे और हरिकृष्णन, दोनों के लिए बड़ी राहत की बात है क्योंकि उन्होंने लगातार दो ग्रैंडमास्टर नॉर्म गंवा दिए थे।’’
मोहनराज को वह समय याद है जब अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन चुके हरिकृष्णन ग्रैंडमास्टर बनने के लिए मार्गदर्शन लेने उनकी अकादमी में आए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘वह मेरे पास 2022 में शायद अक्टूबर के अंत में आया। वह बहुत ही मजबूत अंतरराष्ट्रीय मास्टर था। उसी समय मेरी अकादमी में नियमित शिविर में अधिक अंतरराष्ट्रीय मास्टर्स आने लगे थे। हरिकृष्णन आने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे। फिर धीरे-धीरे लगभग 10-15 उनके जैसे स्तर के और लोग भी जुड़ गए।’’
मोहनराज ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि उसकी सबसे बड़ी खूबी उसका गणना करने का कौशल है। लेकिन जब मैं उसे प्रशिक्षण दे रहा था तो मैंने सुनिश्चित किया कि वह ‘डाइनैमिक्स’ में भी अच्छा हो। फिर धीरे-धीरे वह रणनीति में भी अच्छा हो गया।’’
मोहनराज का मानना है कि हरिकृष्णन को अब 2550-2600 की रेटिंग का लक्ष्य रखना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘निकट भविष्य में मुझे उम्मीद है कि वह 2550 और 2600 रेटिंग को पार कर जाएगा। और फिर प्रेरणा के आधार पर देखते हैं कि वह कैसा प्रदर्शन करता है क्योंकि प्रेरणा ही (इस उम्र में) सबसे महत्वपूर्ण कारक है।’’
भाषा सुधीर आनन्द
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