28.3 C
Jaipur
Monday, July 14, 2025

ओडिशा: पीड़िता के पिता का दावा, मेरी बेटी पर यौन उत्पीड़न की शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया

Newsओडिशा: पीड़िता के पिता का दावा, मेरी बेटी पर यौन उत्पीड़न की शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया

भुवनेश्वर, 13 जुलाई (भाषा) यौन उत्पीड़न के एक मामले में कथित तौर पर न्याय न मिलने के कारण आत्मदाह का प्रयास करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा के पिता ने रविवार को दावा किया कि कॉलेज प्रशासन ने उनकी बेटी पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव डाला था।

राजकीय फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज के प्राचार्य दिलीप घोष पर आरोप लगाते हुए पीड़िता के पिता ने भुवनेश्वर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरी बेटी के दोस्तों ने मुझे बताया कि प्राचार्य से मिलने के कुछ ही मिनट बाद उसने खुद को आग लगा ली। वह उसके आरोपों की जांच कर रही आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के निष्कर्षों को जानने के लिए प्राचार्य के कक्ष में गई थी।’’

पिता ने कहा, ‘‘प्राचार्य ने मेरी बेटी को बताया कि आईसीसी को शिक्षा विभाग प्रमुख समीर कुमार साहू के खिलाफ उसके (छात्रा के) यौन उत्पीड़न के आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला है।’’

उन्होंने दावा किया कि इस खबर से उसकी मानसिक परेशानी और बढ़ गई होगी जिसके कारण उसने खुद को आग लगा ली।

छात्रा के पिता ने बताया कि घोष ने कहा था कि पीड़िता उनसे उनके कक्ष में मिली थी और उन्होंने उसकी काउंसलिंग की थी। प्राचार्य ने पीड़िता से यह भी कहा था कि एक शिक्षक पर झूठे आरोप लगाने को लेकर कॉलेज प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।

पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि साहू ने धमकी दी थी कि अगर उसने उसकी मांग पूरी नहीं की, तो वह उसके शैक्षणिक रिकॉर्ड खराब कर देगा।

उन्होंने कहा, ‘‘जब पीड़िता ने उसके खिलाफ आईसीसी में शिकायत दर्ज कराई, तो उसने कुछ छात्रों को इकट्ठा किया और दावा करना शुरू कर दिया कि छात्रा (पीड़िता) के सभी आरोप निराधार हैं। वह बहुत मानसिक तनाव में थी। प्राचार्य ने भी मेरी बेटी को कोई सांत्वना नहीं दी।’’

पीड़िता के पिता ने यह भी दावा किया कि उनकी बेटी द्वारा शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद वह प्राचार्य से भी मिले थे।

उन्होंने कहा, ‘‘प्राचार्य ने मुझे चिंता न करने के लिए कहा था। इसके अलावा, यह भी कहा था कि जो भी समस्याएं हैं, वे उन्हें सुलझा लेंगे।’’ उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि प्राचार्य 20 वर्षीय छात्रा को आत्महत्या का प्रयास करने से कैसे नहीं रोक सकता।

छात्रा ने 30 जून को शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और 2 जुलाई को कॉलेज परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।

उसके भाई ने कहा कि उसने ‘एक्स’ पर एक संदेश भी पोस्ट किया था, जिसमें न्याय की गुहार लगाई गई थी और मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, स्थानीय सांसद, विधायक और अन्य अधिकारियों को टैग किया गया था।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शनिवार को निलंबित कर दिये गए घोष ने इस बीच कहा, ‘‘मुझे अपनी जान को खतरा महसूस हो रहा है और मैंने बालासोर जिला प्रशासन से सुरक्षा मांगी है।’’

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संतोष त्रिपाठी ने कहा कि अगर कॉलेज प्रशासन ने पीड़िता के आरोपों पर तुरंत कार्रवाई की होती तो यह घटना टल सकती थी।

कुलपति ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं जानता हूं प्राचार्य एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन उन्हें इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। छात्रा ने लगभग 11 दिनों तक इंतजार किया और फिर खुद को आग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया।’’

पीड़िता के पिता ने इस बात से इनकार किया कि उनकी बेटी भावनात्मक रूप से कमजोर है।

उन्होंने रुंधे गले से कहा, ‘‘वह लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देती है। उसने सुंदर कविताएं लिखी हैं और 2024 में कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं अपनी बेटी को वापस घर ले जा पाऊंगा भी या नहीं।’’

इस बीच, काली प्रसन्ना महापात्रा की अध्यक्षता वाली उच्च शिक्षा विभाग की तीन सदस्यीय समिति ने मामले के संबंध में प्राचार्य घोष और आईसीसी सदस्यों से पूछताछ की।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles