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Monday, July 14, 2025

युवा मामले और खेल मंत्रालय ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ पर सम्मेलन आयोजित करेगा

Newsयुवा मामले और खेल मंत्रालय ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ पर सम्मेलन आयोजित करेगा

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) युवा मामले एवं खेल मंत्रालय युवाओं को नशे की लत के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए 18 से 20 जुलाई तक वाराणसी में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन करेगा।

‘नशा मुक्त युवा, विकसित भारत के लिए’ नाम से आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य 2047 तक भारत को नशा मुक्त बनाने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति तैयार करना है।

इसके लिए पंजीकरण 18 जुलाई को शुरू होगा जबकि सम्मेलन की शुरुआत इसके अगले दिन होगी। सम्मेलन में चर्चा के आधार पर ‘काशी घोषणापत्र’ के नाम से कार्य योजना जारी की जायेगी।

इस सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, नालसा (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) और 100 आध्यात्मिक संगठनों के युवा विभाग एक साथ मंच पर आएंगे।

वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में होने वाले इस सम्मेलन में प्रत्येक आध्यात्मिक संगठन के पांच प्रतिनिधियों सहित कुल 500 प्रतिभागी शामिल होंगे।

सम्मेलन में इस बात पर ध्यान दिया जायेगा कि स्थानीय निकाय, सहकारी समितियां और शैक्षणिक संस्थान सरकार के सहयोग से ‘काशी घोषणापत्र’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किस तरह एक साथ आ सकते हैं ।

केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इस पहल के बारे कहा कि यह सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें युवा सबसे बड़े हितधारक हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश युवा है और युवा हमारी ताकत हैं। नशा और ड्रग्स बड़ी समस्याएं हैं। इसलिए हम हर उस मंच को शामिल करना चाहते हैं जहां युवा हैं। चाहे वह स्कूल हो या कॉलेज… हमें बड़े राष्ट्रव्यापी अभियान की आवश्यकता है।’’

मांडविया ने कहा, ‘‘हम भारत को नशा मुक्त बनाना चाहते हैं और यह कार्यक्रम उस लक्ष्य की दिशा में कार्ययोजना को आकार देने के लिए है।’’

मंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम एक सतत प्रक्रिया होगी और हर साल इसकी समीक्षा कर नये लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम हर साल एक लक्ष्य तय करेंगे और हर साल उसकी समीक्षा की जाएगी। हम इसे जन आंदोलन बनाना चाहते हैं।’’

भाषा आनन्द आनन्द पंत

पंत

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