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Monday, July 14, 2025

क्यों साइकिल चलाना पैदल चलने से चार गुना अधिक प्रभावी हो सकता है; जैव-यांत्रिकी विशेषज्ञ ने बताया

Newsक्यों साइकिल चलाना पैदल चलने से चार गुना अधिक प्रभावी हो सकता है; जैव-यांत्रिकी विशेषज्ञ ने बताया

(एंथनी ब्लेजविच, जैव-यांत्रिकी विशेषज्ञ, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय)

पर्थ, 14 जुलाई (द कन्वरसेशन) आप अपने घर के दरवाजे पर खड़े हैं और पांच किलोमीटर की दूरी तय करते हुए आपको काम पर जाना है लेकिन आपके पास न तो कार है, न ही कोई बस सेवा उपलब्ध है। अब ऐसे में आपके पास दो ही विकल्प हैं या तो एक घंटे पैदल चलें, या फिर बिना ज्यादा पसीने बहाए अपनी साइकिल पर सवार होकर कुछ ही मिनटों में पहुंच जाएं। अमूमन आप दूसरा विकल्प ही चुनते हैं।

आप जैसे बहुत से लोग भी यही विकल्प चुनेंगे। अनुमान है कि दुनिया में एक अरब से भी अधिक साइकिल हैं। साइकिल चलाना सबसे बेहतर परिवहन साधनों में से एक है जिसमें ऊर्जा की बिल्कुल भी खपत नहीं होती है। साइकिलिंग के माध्यम से लोग चलने या दौड़ने की तुलना में कम ऊर्जा खपत पर तेज और दूर तक सुविधाजनक तरीके से सफर करने में सक्षम होते हैं।

लेकिन आखिर पैदल चलने की तुलना में साइकिलिंग इतनी आसान क्यों लगती है? इसका जवाब छिपा है उस सुव्यवस्थित जैव-यांत्रिकी में जो साइकिल का हमारे शरीर के साथ तालमेल बनाती है।

*** साइकिल अद्भुत मशीन है

साइकिल एक बहुत ही सरल रचना है: दो पहिए (इसलिए इसे ‘‘बाय-साइकिल’’ कहा जाता है), एक चेन के जरिए ताकत को पिछले पहिए तक पहुंचाने वाला पैडल और हमारे प्रयास को सही तरीके से नियंत्रित करने वाला गियर। लेकिन यह सरलता एक ऐसी इंजीनियरिंग को छिपाए हुए है, जो मानव शरीर की संरचना और क्रिया प्रणाली से बिल्कुल मेल खाती है।

जब हम चलते या दौड़ते हैं तो असल में हमारा झुकाव एक नियंत्रित तरीके से आगे की ओर रहता है और हर कदम पर खुद को संभालते हैं। हमारे पैरों को हर कदम पर एक बड़े दायरे में आगे बढ़ाना पड़ता है, हर कदम पर पैरों को गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध ऊपर उठाना पड़ता है। सिर्फ इस क्रिया में ही शरीर की बहुत सारी ऊर्जा खर्च होती है।

साइकिल पर, आपके पैर बहुत छोटी गोलाकार गति में घूमते हैं। हर क्रिया पर अपने पूरे पैर का वजन उठाने के बजाय, आप बस अपनी जांघों और पिंडलियों को एक संकुचित पैडल वाली साइकिल पर घुमाते हैं। इस वजह से शारीरिक ऊर्जा की बचत तुरंत महसूस होती है।

लेकिन असली दक्षता यह है कि मानव ताकत ऐसी ऊर्जा में बदल जाती है जो साइकिल को आगे बढ़ाती है। जब आप चलते हैं या दौड़ते हैं, तब हर कदम बहुत कम समय के लिए ही सही, धरती को छूता है। आप इसे अपने जूते की आवाज के रूप में सुन सकते हैं, और इसे शरीर में कंपन के रूप में महसूस कर सकते हैं। यह शारीरिक ऊर्जा की खपत है जो आपके मांसपेशियों और जोड़ों से होकर गुजरने के बाद ध्वनि के रूप में निकलने के बाद खत्म हो जाती है।

*** सड़क को छूना

साइकिलें इन समस्याओं को हल करने के लिए दुनिया के महान आविष्कारों में से एक, पहियों का उपयोग करती हैं।

धरती पर कदमों के छूने के बजाय इसमें आपको ‘रोलिंग कॉन्टैक्ट’ मिलता है- टायर का हर हिस्सा उठने से पहले सड़क की सतह को हल्के से ‘‘छूता’’ है जिससे कोई शारीरिक ऊर्जा खपत नहीं होती। और चूंकि पहिया सुचारू रूप से घूमता रहता है, ताकत सीधा नीचे की ओर जमीन पर लगती है, इसीलिए निरंतर चलते रहते हैं। आपके पैडल चलाने से लगने वाला बल सीधे गति में परिवर्तित हो जाता है जो साइकिल को आगे की ओर धकेलता है।

साइकिल हमारी मांसपेशियों को बेहतर ढंग से काम करने में भी मदद करती हैं। मनुष्यों की मांसपेशियों की एक बुनियादी सीमा होती है: वे जितनी तेजी से सिकुड़ती हैं, उतनी ही कमजोर होती जाती हैं और उतनी ही ज्यादा शारीरिक ऊर्जा खर्च करती हैं।

इसे मांसपेशियों का ‘फोर्स-वेलोसिटी रिलेशनशिप’ कहा जाता है। यही वजह है कि दौड़ना, चलने या जॉगिंग की तुलना में इतना कठिन लगता है, क्योंकि आपकी मांसपेशियां अपनी गति की सीमा के करीब काम कर रही होती हैं, और हर कदम के साथ उनकी कार्यक्षमता कम होती जाती है।

साइकिल के गियर इस समस्या को दूर करते हैं। जैसे-जैसे आप तेज चलते हैं, आप एक बड़े गियर में स्थानांतरित कर सकते हैं जिससे आपकी मांसपेशियों को तेजी से काम नहीं करना पड़ता, लेकिन साइकिल की रफ्तार बढ़ती रहती है।

आपकी मांसपेशियां ताकत लगाने और शारीरिक ऊर्जा कम खपत करने के लिए अपनी सबसे सही स्थिति में बनी रहती हैं। यह ऐसे है जैसे आपके पास एक निजी सहायक हो जो लगातार आपका काम इस तरह से समायोजित करता है कि आप हमेशा अपनी सबसे बेहतरीन क्षमता में बने रहें।

*** कभी-कभी चलना भी अच्छा है

साइकिल हर स्थिति में बेहतर नहीं होती।

जब करीब 15 प्रतिशत (यानि हर 10 मीटर की दूरी पर आप 1.5 मीटर ऊपर चढ़ते हैं) या उससे ज्यादा चढ़ाई वाला क्षेत्र आता है आपके पैरों को साइकिल को ऊपर चढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए पैडलिंग करने के दौरान ज्यादा ताकत लगाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। हम अपने पैरों को सीधे बाहर की ओर धकेलते हुए ज्यादा ताकत पैदा कर सकते हैं, इसलिए ऐसे में चलना (या चढ़ाई करना) ज्यादा असरदार हो जाता है।

अगर ‘माउंट एवरेस्ट’ पर सड़कें बन भी जाएं तो भी हम वहां पर साइकिल नहीं चला पाएंगे। लेकिन ढलानों पर ऐसा नहीं है। ढलानों पर साइकिल चलाना धीरे-धीरे आसान होता जाता है (अंततः इसमें बिल्कुल भी शारीरिक ऊर्जा की खपत नहीं होती), लेकिन ज्यादा ढलान पर पैदल चलना वास्तव में मुश्किल हो जाता है।

सिर्फ एक परिवहन संसाधन के रूप में ही नहीं, आंकड़े भी यह साबित करते हैं कि साइकिलिंग, चलने की तुलना में कम से कम चार गुना और दौड़ने की तुलना में आठ गुना अधिक प्रभावी होती है।

द कन्वरसेशन खारी मनीषा

मनीषा

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