श्रीनगर, 14 जुलाई (भाषा) हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज़ उमर फारूक ने सोमवार को कहा कि जम्मू- कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को ‘तानाशाहीपूर्ण ज्यादती की कड़वी खुराक चखने’ के बाद लोगों की गरिमा और मौलिक अधिकारों को बनाए रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मीरवाइज आज हुए घटनाक्रमों पर टिप्पणी कर रहे थे। अब्दुल्ला को 13 जुलाई, 1931 को डोगरा सेना की गोलीबारी में मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान का गेट फांदकर अंदर प्रवेश करना पड़ा क्योंकि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें तथा उनके साथियों के सहयोगियों के साथ “धुक्का मुक्की’ की गई।
मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर कहा, “सत्ता बहुत कम सिखाती है, जबकि सत्ताहीनता बहुत कुछ सिखा देती है। आज मुख्यमंत्री साहब ने तानाशाही रवैये और ज्यादती की कड़वी खुराक चखी, और उसके बाद उसी तरह लाचार महसूस किया जैसे आम कश्मीरी नागरिक हर रोज़ अलग-अलग रूपों में करता है, क्योंकि उन्हें कोई अधिकार या जगह नहीं दी जाती।’
उन्होंने कहा,’उम्मीद है कि इस अनुभव के बाद वह अपनी तवज्जो उस ओर देंगे जो हर व्यक्ति की पहली प्राथमिकता है- उनकी गरिमा और उनके मौलिक अधिकारों को बनाए रखने और इनकी बहाली के प्रति ईमानदारी से काम करने करने पर।”
जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1931 में श्रीनगर केंद्रीय जेल के बाहर डोगरा सेना की गोलीबारी में 22 लोग मारे गए थे। उपराज्यपाल प्रशासन ने 2020 में इस दिन को राजपत्रित अवकाश की सूची से हटा दिया था।
भाषा नोमान नरेश
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