25 C
Jaipur
Tuesday, July 15, 2025

नौकरी बहाली की मांग कर रहे शिक्षकों को बंगाल सचिवालय की ओर मार्च करने से रोका गया

Newsनौकरी बहाली की मांग कर रहे शिक्षकों को बंगाल सचिवालय की ओर मार्च करने से रोका गया

कोलकाता, 14 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल में नौकरी बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे ‘‘योग्य और बेदाग’’ स्कूल शिक्षकों की सोमवार दोपहर उस समय पुलिस के साथ झड़प हो गई, जब उनके विरोध मार्च को राज्य सचिवालय नबान्न से कुछ किलोमीटर पहले हावड़ा मैदान के पास रोक दिया गया।

‘शिक्षक अधिकार मंच’ के बैनर तले संगठित प्रदर्शनकारियों ने वर्दीधारी कर्मियों के बनाए मानव अवरोधकों को तोड़ते हुए उनके साथ धक्का-मुक्की की, जिससे मौके पर तनाव पैदा हो गया। प्रदर्शनकारी सचिवालय तक पहुंचने और अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने पर अड़े रहे।

प्रदर्शनकारियों को अंततः पुलिस ने लोहे के बैरिकेड लगाकर रोक दिया, जो पहले जीटी रोड पर मलिक फाटक के पास लगाए गए थे। कानून लागू करने वाले अधिकारियों ने लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे किसी भी प्रकार के बल या हिंसा का सहारा न लें।

प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड को पार करने के प्रयास में पुलिस के साथ बहस और बार-बार हाथापाई करते देखा गया, जिसके कारण कभी-कभी झड़पें भी हुईं।

मार्च का नेतृत्व कर रहे शिक्षकों के एक वर्ग ने दावा किया कि 20 शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को मानने का दबाव बनाने के लिए नबान्न में मुख्य सचिव मनोज पंत से मुलाकात करेगा।

प्रदर्शनकारी शिक्षक 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से आयोजित भर्ती परीक्षा की ओएमआर शीट प्रकाशित करने, दागी और बेदाग उम्मीदवारों की पूरी सूची प्रकाशित करने तथा बिना शर्त नौकरी पर उनकी बहाली समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन रहे हैं। उन्होंने आधिकारिक प्रतिक्रिया के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात की मांग की है।

नबान्न की ओर बढ़ते प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठीधारी पुलिसकर्मियों और त्वरित प्रतिक्रिया बल (आरएएफ) के जवानों की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई थी। उन्हें पानी की बौछार करने वाली मशीनों और ड्रोन निगरानी प्रणाली से लैस किया गया था।

सचिवालय की ओर जाने वाले विभिन्न मार्गों पर लोहे के कई बैरिकेड लगाए गए थे, जिनमें से कुछ तो 10 फुट तक ऊंचे थे। मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों ने उस रास्ते का उल्लंघन किया, जिससे पुलिस ने शुरू में उन्हें मार्च निकालने की अनुमति दी थी। वे अपने गंतव्य तक पहुंचने की कोशिश में जीटी रोड पर ही डटे रहे।

एक प्रदर्शनकारी शिक्षक ने कहा, ‘‘हम कोई परीक्षा नहीं देंगे। हमारे साथ अन्याय हुआ है और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हमें हमारे मूल पदों पर वेतन सहित बहाल करे।’’

एक अन्य शिक्षक ने कहा, ‘‘हमें बताया गया है कि मुख्य सचिव हमसे मिलने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि उस बैठक में मुख्यमंत्री भी शामिल हों। हम चाहते हैं कि राज्य का सर्वोच्च कार्यकारी अधिकारी हमारे सवालों का जवाब दे।’’

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2016 की एसएससी परीक्षा के तहत शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर हुई नियुक्तियों को अप्रैल 2025 में इस आधार पर रद्द कर दिया था कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण चयन प्रक्रिया इतनी विकृत हो गई थी कि उसे सुधारा नहीं जा सकता था, जिसके कारण लगभग 26,000 नौकरियां समाप्त हो गईं।

शीर्ष अदालत ने रिक्त पदों के लिए नये सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। साथ ही राज्य सरकार और एसएससी को निर्देश दिया था कि पात्र उम्मीदवारों को नये सिरे से परीक्षा देने सहित पूरी प्रक्रिया में शुरुआती चरण से हिस्सा लेना होगा।

एसएससी और राज्य सरकार, दोनों ने ही शीर्ष अदालत के समक्ष पुनर्विचार याचिकाएं दायर करने की अपनी योजना जाहिर की है, लेकिन हितधारकों ने उच्च न्यायालय में उन दागी उम्मीदवारों को भी नयी चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति देने की असफल अपील की, जिन्होंने नौकरी हासिल करने के लिए अनुचित साधनों का सहारा लिया था।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘हम डरते नहीं हैं, क्योंकि हम सच्चाई के साथ खड़े हैं। मुख्यमंत्री लगातार दागी उम्मीदवारों के साथ खड़ी रही हैं। इसीलिए वह हमसे मिलने से कतरा रही हैं और हमें अपने कार्यालय तक पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल कर रही हैं।’’

एक अन्य प्रदर्शनकारी शिक्षक ने कहा, ‘‘इस सरकार ने अपनी ही व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पैदा हुए संकट को सुलझाने का कोई प्रयास नहीं किया है। अगर इस सरकार में सही राजनीतिक इच्छाशक्ति होती, तो अब तक बेदाग और योग्य शिक्षकों की सूची आधिकारिक रूप से प्रकाशित कर दी गई होती। इसके बजाय, इसने दागियों का साथ देना चुना है। यह रैली भ्रष्ट लोगों के अहंकार को चुनौती है।’’

वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि वामपंथी और भगवा दल ऐसे आंदोलन से राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए शिक्षकों को उकसा रहे हैं।

घोष ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने उनकी नौकरियां समाप्त कर दी हैं। हमारी सरकार कानूनी तौर पर इसके खिलाफ लड़ रही है। उसने प्रभावित गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अंतरिम राहत देने की कोशिश की थी, लेकिन वामपंथी और भगवा ब्रिगेड ने अदालत में उसे नाकाम कर दिया। अब वे राजनीतिक लाभ लेने के लिए शिक्षकों को भड़का रहे हैं।’’

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles